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====पत्थर और लकड़ी की चिप्पियों के जरिए जल रिसाव====
[[Image:WoodChipInfiltrationWell.jpg|thumb|right|200px|Infiltration well filled with rock or wood chips पत्थर और लकड़ी के फट्टों से बने रिसन-इन्फिल्ट्रेशन कुंए- soil not tilledमिट्टी उलटी नहीं गई है. For more options like this see और तरीकों के लिए देखें [Infiltration wells Factsheet].]]कुंए में जल रिसाव तय करने के लिए चुनी गई जगह पर करह्वीब करीब एक से डेढ़ मीटर व्यास वाला और तकरीबन एक मीटर गहरा गड्ढा खोदा जाना चाहिए. अगर कुंए का निर्माण बलुआ अथवा बालू मिश्रित जमीन में पत्थर से किया गया है तो खोदे गए गड्ढे को जियोटेक्सटाइल झिल्ली से ढका जा सकता है. यह झिल्ली पत्थर का जमाव रोकती है और यह चिपकाने वाले टेप की मदद से यह उस जगह पर चिपकी होती है जहां नाली इसे समकोण पर काटती है. कुंए का काम पूरा हो जाने के बाद अगर मिट्टी को ऊपर लाना होता है तो इस झिल्ली को मिट्टी की सतह से करीब 30 सेंटीमीटर नीचे काटा जाता है. यदि ऐसा नहीं किया गया तो झिल्ली मिट्टी की सतह के ऊपर तक आ सकती है. यह बात ध्यान देने वाली है कि लकड़ी की चिप्पी वाले कुंओं में ऐसी झिल्ली का प्रयोग नहीं किया जाता है.
खुदाई को बाद में मनोवांछित सामग्री से भर दिया जाता है. इस नाली को भी रिसाव वाली सामग्री से भरा जाता है और उसे छेद मे डाल दिया जाता है. वहीं पत्थर से बने कुंओं में दोबारा भराई की शुरुआत 56 मिमी के पत्थर से करने की अनुशंसा की जाती है. हालांकि 19 मिमी तक के पतले पत्थर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
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