Difference between revisions of "वाटर पोर्टल / वर्षाजल संचयन / भूजल पुनर्भरण / पारगम्य चट्टान बांध"
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प्रत्येक बांध की लंबाई में आमतौर पर 50 और 300 मीटर के बीच है. बांध की दीवार में नाले के अंतर्गत आम तौर पर 1 मीटर ऊंची है, और कहीं-कहीं ऊंचाई 80 और 150 सेमी के बीच है. बांध की दीवार भी समतल है (2:1) निचली ढलान के मुकाबले ऊपरी ढलान पर (1:2), ऐसा संरचना को बेहतर स्थिरता देने के लिए किया गया है, जब ये भरी हों. फाउंडेशन के लिए एक उथली खाई स्थिरता में सुधार लाती है और निचली खुदाई के जोखिम को कम करती है. बाहरी दीवार पर बड़े पत्थरों और अंदरूनी दीवार पर छोटे पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है. | प्रत्येक बांध की लंबाई में आमतौर पर 50 और 300 मीटर के बीच है. बांध की दीवार में नाले के अंतर्गत आम तौर पर 1 मीटर ऊंची है, और कहीं-कहीं ऊंचाई 80 और 150 सेमी के बीच है. बांध की दीवार भी समतल है (2:1) निचली ढलान के मुकाबले ऊपरी ढलान पर (1:2), ऐसा संरचना को बेहतर स्थिरता देने के लिए किया गया है, जब ये भरी हों. फाउंडेशन के लिए एक उथली खाई स्थिरता में सुधार लाती है और निचली खुदाई के जोखिम को कम करती है. बाहरी दीवार पर बड़े पत्थरों और अंदरूनी दीवार पर छोटे पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है. | ||
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Revision as of 16:11, 28 November 2015
पारगम्य चट्टान बांधों का निर्माण घाटी लंबी, कम ऊंचाई वाली चट्टानों की दीवार से होता है, जिनके शिखर घाटी के तल के किनारे-किनारे समान ऊंचाई लिये होते हैं. यह तटीय धाराओं को फैलने देता है. यह बाढ़-जल कृषि तकनीक है, जो बाढ़ के पानी को फैलने देता है और नियंत्रित भी करता है ताकि फसल की वृद्धि ढंग से हो सके, साथ ही यह कटाव को भी रोकता है. पारगम्य चट्टान बांध को 'सीढ़ीदार वाडी' का एक रूप माना जा सकता है. हालांकि सीढ़ीदार वाड़ी का प्रयोग अमूमन अधिक शुष्क क्षेत्रों में जलधाराओं के भीतर संरचनाओं के लिए होता है.
पारगम्य चट्टान बांध एक अधिक प्रभावी और लोकप्रिय तकनीक प्रदान करते हैं, खास तौर पर गैबियन के मुकाबले नाले के कटाव के बेहतर नियंत्रण के मद्देनजर. नाले के प्रभावी नियंत्रण के अतिरिक्त पारगम्य चट्टान बांधों की एक खासियत और है, इसमें बांधों के पीछे उगने वाली फसलों की पैदावार काफी बढ़ जाती है.
बांधों के पीछे गाद के जमाव के जरिये नालों का जीर्णोद्धार हो जाता है, गहराई बढ़ जाती है और मिट्टी की गुणवत्ता तत्काल बेहतर हो जाती है, नतीजन बांधों के पीछे की मिट्टी उपजाऊ हो जाती है. फसलों के लिए नमी की मात्रा में सुधार होता है. पारगम्य चट्टान बांधों के साथ लगी भूमि में चारे की पैदावार 1 टन / हेक्टेयर से बढ़ कर 1.9 टन / हेक्टेयर तक हो जाती है. इन बांधों के पीछे लगाए जाने वाली अन्य फसलें हैं (भारी मिट्टी पर) चावल, बाजरा और मूंगफली.
उपयुक्त परिस्थितियां
फसल उत्पादन के लिए पारगम्य चट्टान बांधों का निर्माण निम्नलिखित परिस्थितियों किया जा सकता है :
- वर्षा: 200-750 मिमी; शुष्क और अर्द्ध क्षेत्रों के लिए.
- मिट्टी: सभी कृषि मिट्टी- खराब मिट्टी का उपचार किया जा सकता है.
- ढलान: 2% से कम हो तो बेहतर ताकि पानी प्रभावी तरीके से फैल सके.
- स्थलाकृति: चौड़े, उथले घाटी बेड.
इस प्रणाली का इस्तेमाल अमूमन अपेक्षाकृत व्यापक और उथली घाटियों में किया जाता है. यह तकनीक उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, जहां 700 मिमी वार्षिक वर्षा से कम बारिश होती है, जहां उत्पादक भूमि में नाले बनाये जाते हैं. यह खास तौर पर घाटी की निचली जमीन के लिए उपयुक्त हैं, जहां ढलान 2% से कम हों, और जहां पत्थरों की आपूर्ति और इन्हें पहुंचाने के लिए परिवहन के साधन उपलब्ध हों.
लाभ | हानि |
---|---|
- फसल उत्पादन में वृद्धि और कटाव नियंत्रण. खेती और बाढ़ के पानी के प्रसार के परिणामस्वरूप. - भूमि प्रबंधन में सुधार. नाले पर उपजाऊ गाद का जमा होना. |
- अपवाह वेग और कटाव क्षमता में कमी. - उच्च परिवहन लागत. |
निर्माण, संचालन और रखरखाव
प्रत्येक बांध की लंबाई में आमतौर पर 50 और 300 मीटर के बीच है. बांध की दीवार में नाले के अंतर्गत आम तौर पर 1 मीटर ऊंची है, और कहीं-कहीं ऊंचाई 80 और 150 सेमी के बीच है. बांध की दीवार भी समतल है (2:1) निचली ढलान के मुकाबले ऊपरी ढलान पर (1:2), ऐसा संरचना को बेहतर स्थिरता देने के लिए किया गया है, जब ये भरी हों. फाउंडेशन के लिए एक उथली खाई स्थिरता में सुधार लाती है और निचली खुदाई के जोखिम को कम करती है. बाहरी दीवार पर बड़े पत्थरों और अंदरूनी दीवार पर छोटे पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है.
लागत
एक सामान्य चट्टान बांध जो 2 से 2.5 हेक्टेयर जमीन के लिए कटाव नियंत्रण और जल आपूर्ति प्रदान करता है, में 500-650 अमेरिकी डॉलर की लागत और 300-600 मानव श्रम की लागत आती है.
Field experiences
Several organisations have been involved in the promotion of this technology in Burkina Faso. The structures are labour-intensive and require provision of mechanised transport for moving the quantities of stone required. Villages that request application of this technology usually pay half of the transportation costs, contribute all of the labour, and manage the dam. Where rock dams have been installed, a spill over into the construction of smaller rock dams by individual land owners has been seen.
Governmental or agency involvement is comprised primarily of provision of technical advice needed during the construction stage. More recently, villages have been asked to form a land resource management committee to serve as a focal point for coordination of land and water resource management activities with extension agents. This committee draws up a land use management plan that provides the planning context for dam construction and other environmental protection projects.
Manuals, videos and links
- Sourcebook of Alternative Technologies for Freshwater Augmentation in Africa (UNEP-IETC, 1998, 182 p.) or (alternative link). UNEP.
Acknowledgements
- Rufino, L., Water Conservation Technical Briefs: TB 2 – Rainwater Harvesting and Artificial Recharge to Groundwater. Sustainable Agriculture Initiative (SAI). August 2009.
- Awulachew, Seleshi Bekele (IWMI); Lemperiere, Philippe (IWMI). Water harvesting and development for improving productivity. Tulu, Taffa (Adama University). January, 2009.