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फिल्टर के रूप में अगर ऑर्गेनिक पदार्थों का इस्तेमाल किया गया तो वे समय के साथ खुदबखुद अपघटित होने शुरू हो जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि जमीन की सतह के निकट ऑक्सीकरण की प्रक्रिया बेहतर होती है. इस वजह से कुंए के ऊपरी इलाके में अपघटन तेज गति से होता है. लकड़ी के फट्टों से बने कुंओं में आमतौर पर हर 10 साल मेंं नए फट्टे लगाने पड़ते हैं. यह रखरखाव की प्रक्रिया का हिस्सा है क्योंकि पुराने फट्ूे टूटने शुरू हो जाते हैं. इसके कम कार्बन और नाइट्रोजन अनुपात और उच्च सेल्युलोज अनुपात को देखते हुए कहा जा सकता है कि अपघटन अत्यंत तेज गति से होता है और लकडिय़ों को और भी जल्दी-जल्दी बदलना पड़ सकता है. दोनों ही मामलों में अपघटित पदार्थों को बदलने के लिए मोटी बालू का भी प्रयोग किया जा सकता है. आखिर में, रिसन-इन्फिल्ट्रेशन कुंए और अलहदा नाली व्यवस्था का नियमित अंतराल पर निरीक्षण भी किया जाना चाहिए. ताकि ढांचों की स्थिति का समयानुसार आकलन किया जा सके. ऐसा करने से नाली की दिक्कतों और क्षरण की समस्या से बचा जा सकता है.
===Manualsनियमावली, videos and linksवीडियो और लिंक===
* [http://www.indiawaterportal.org/articles/well-revival-effort-sees-many-other-benefits कुंओं में सुधार के प्रयासों के कई अन्य लाभ हैं.] उदयपुर के निकट मोखला तालाब में कुओं की दशा सुधारने के सामुदायिक प्रयास के चलते लंबी अवधि तक जल सुरक्षा हासिल हुई है. इस बीच महिलाओं की नेतृत्व क्षमता भी उभरकर सामने आई है.
* [http://www.indiawaterportal.org/articles/experiments-community-wells 'सामुदायिक कुओं के साथ प्रयोग'.] महाराष्ट्र के धुले में किसानों को प्रेरित करने से यह जाहिर हुआ कि कैसे विभिन्न समुदाय भूजल का इस्तेमाल साझा संसाधन के रूप में कर सकते हैं वह भी बेहद संगठित और सामूहिक रूप से.