Difference between revisions of "वाटर पोर्टल / वर्षाजल संचयन / सतही जल / नदी-तल से जल-संग्रहण"

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'''नदी-तल या टाइरोलीन निकासी''' ([[वाटर पोर्टल/ वर्षाजल संचयन/ सतही जल/ टाइरोलीन मेड़]] से अलग)  में अक्सर छोटी नदियों या जल धाराओं में नदी तल के पानी का उपयोग पेयजल के रूप में किया जाता है. ऐसा अक्सर उन जगहों पर किया जाता है जहां बालू का प्रभाव कम होता है. पानी को अक्सर नदी तल मेंं कंक्रीट की बनी एक नहर पर लगी स्क्रीन के जरिए निकाला जाता है. इस स्क्रीन के स्तंभ जलधारा की दिशा में होते हैं और उनका झुकाव नीचे की ओर होता है. ऐसा करने से मोटा कचरा छन जाता है. नहर के जरिए पानी बालू वाली जाली में पहुंचता है और उसके बाद वह एक वॉल्व से होता हुआ गुरुत्व बल के जरिए बाहर निकल सकता है या फिर उसे पंप के जरिए बाहर किया जा सकता है.
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'''नदी-तल या टाइरोलीन निकासी''' ([[वाटर पोर्टल / वर्षाजल संचयन / सतही जल / टाइरोलीन मेड़| टाइरोलीन मेड़]] से अलग)  में अक्सर छोटी नदियों या जल धाराओं में नदी तल के पानी का उपयोग पेयजल के रूप में किया जाता है. ऐसा अक्सर उन जगहों पर किया जाता है जहां बालू का प्रभाव कम होता है. पानी को अक्सर नदी तल मेंं कंक्रीट की बनी एक नहर पर लगी स्क्रीन के जरिए निकाला जाता है. इस स्क्रीन के स्तंभ जलधारा की दिशा में होते हैं और उनका झुकाव नीचे की ओर होता है. ऐसा करने से मोटा कचरा छन जाता है. नहर के जरिए पानी बालू वाली जाली में पहुंचता है और उसके बाद वह एक वॉल्व से होता हुआ गुरुत्व बल के जरिए बाहर निकल सकता है या फिर उसे पंप के जरिए बाहर किया जा सकता है.
  
 
यह डिजाइन कुछ इस तरह तैयार किया जाता है कि कचरे का जमना रोका जा सके और यह ढांचा बाढ़ जैसी स्थितियों में भी कामयाब रह सके. अगर नदी में बड़े पत्थर आदि नहीं बहते हैं तो बिना किसी सुरक्षा उपाय के की जाने वाली निकासी भी पर्याप्त है।
 
यह डिजाइन कुछ इस तरह तैयार किया जाता है कि कचरे का जमना रोका जा सके और यह ढांचा बाढ़ जैसी स्थितियों में भी कामयाब रह सके. अगर नदी में बड़े पत्थर आदि नहीं बहते हैं तो बिना किसी सुरक्षा उपाय के की जाने वाली निकासी भी पर्याप्त है।
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'''कैसे हो सुधार:'''  विनिर्माण मिश्रण को सही तरीके से तैयार किया जाए, अनुपात सही हो, निर्माण सामग्री सही हो, मिश्रण में पानी बहुत कम रहे और तराई पर्याप्त हो.
 
'''कैसे हो सुधार:'''  विनिर्माण मिश्रण को सही तरीके से तैयार किया जाए, अनुपात सही हो, निर्माण सामग्री सही हो, मिश्रण में पानी बहुत कम रहे और तराई पर्याप्त हो.
  
सूखे के प्रबंधन पर अधिक जानकारी:  [[सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लचीला वॉश सिस्टम]].
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सूखे के प्रबंधन पर अधिक जानकारी:  [[Resilient WASH systems in drought-prone areas | सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लचीला वॉश सिस्टम]].
  
 
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* [http://www.lifewater.org/resources/rws1/rws1p4.pdf चूजिंग व्हेअर टू प्लेस इनटेक्स.] वाटर फॉर द वर्ल्ड.
 
* [http://www.lifewater.org/resources/rws1/rws1p4.pdf चूजिंग व्हेअर टू प्लेस इनटेक्स.] वाटर फॉर द वर्ल्ड.
  
* [http://www.irc.nl/page/1917 सरफेस वाटर इनटेक एण्ड स्माल डैम्स]. अध्याय 11. न्हामो मसानगैनीज द्वारा संशोधित.
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* [http://www.ircwash.org/sites/default/files/Smet-2002-Small_TP40.pdf सरफेस वाटर इनटेक एण्ड स्माल डैम्स]. अध्याय 11. न्हामो मसानगैनीज द्वारा संशोधित.
  
 
===संदर्भ साभार ===
 
===संदर्भ साभार ===
 
* मासांगनाइस, न्हामो, [http://www.samsamwater.com/library/TP40_11_Surface_water.pdf  सरफेस वाटर इंटेक ऐंड स्माल डैम].
 
* मासांगनाइस, न्हामो, [http://www.samsamwater.com/library/TP40_11_Surface_water.pdf  सरफेस वाटर इंटेक ऐंड स्माल डैम].
 
* ब्रिक्के, फ्रांक्वा और ब्रीडरो, मार्टन. [http://www.washdoc.info/docsearch/title/117705 लिंकिंग टेक्रॉलजी च्वाइस विद ऑपरेशन ऐंड मेंटनेंस इन द कंटेक्स्ट ऑफ कमयुनिटी वाटर सप्लाई ऐंड सैनिटेशन: अ रिफरेंस डॉक्युमेंट फॉर प्लानर्स ऐंड प्रोजेक्ट स्टाफ] या ([http://www.who.int/water_sanitation_health/hygiene/om/wsh9241562153/en/ वैकल्पिक लिंक]).  विश्व स्वास्थ्य संगठन और आईआरसी जल एवं सफाई केंद्र, जेनेवा, स्विट्जरलैंड 2003
 
* ब्रिक्के, फ्रांक्वा और ब्रीडरो, मार्टन. [http://www.washdoc.info/docsearch/title/117705 लिंकिंग टेक्रॉलजी च्वाइस विद ऑपरेशन ऐंड मेंटनेंस इन द कंटेक्स्ट ऑफ कमयुनिटी वाटर सप्लाई ऐंड सैनिटेशन: अ रिफरेंस डॉक्युमेंट फॉर प्लानर्स ऐंड प्रोजेक्ट स्टाफ] या ([http://www.who.int/water_sanitation_health/hygiene/om/wsh9241562153/en/ वैकल्पिक लिंक]).  विश्व स्वास्थ्य संगठन और आईआरसी जल एवं सफाई केंद्र, जेनेवा, स्विट्जरलैंड 2003

Latest revision as of 07:42, 25 May 2017

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नदी-तल या टाइरोलीन निकासी ( टाइरोलीन मेड़ से अलग) में अक्सर छोटी नदियों या जल धाराओं में नदी तल के पानी का उपयोग पेयजल के रूप में किया जाता है. ऐसा अक्सर उन जगहों पर किया जाता है जहां बालू का प्रभाव कम होता है. पानी को अक्सर नदी तल मेंं कंक्रीट की बनी एक नहर पर लगी स्क्रीन के जरिए निकाला जाता है. इस स्क्रीन के स्तंभ जलधारा की दिशा में होते हैं और उनका झुकाव नीचे की ओर होता है. ऐसा करने से मोटा कचरा छन जाता है. नहर के जरिए पानी बालू वाली जाली में पहुंचता है और उसके बाद वह एक वॉल्व से होता हुआ गुरुत्व बल के जरिए बाहर निकल सकता है या फिर उसे पंप के जरिए बाहर किया जा सकता है.

यह डिजाइन कुछ इस तरह तैयार किया जाता है कि कचरे का जमना रोका जा सके और यह ढांचा बाढ़ जैसी स्थितियों में भी कामयाब रह सके. अगर नदी में बड़े पत्थर आदि नहीं बहते हैं तो बिना किसी सुरक्षा उपाय के की जाने वाली निकासी भी पर्याप्त है।

उपयुक्त परिस्थिति

  • कम बालू या जमाव वाली नदियां
  • जहां पानी का बहाव पर्याप्त हो
  • एक ऐसा स्तर जहां पंपिंग की लागत बचाने के लिए गुरुत्व बल पर आपूर्ति संभव हो
  • घनी आबादी और कृषि कार्यों वाला ऊपरी धारा को इलाका ताकि स्लिट की आवक कम हो
  • पशुओं के पानी पीने वाली जगहें, कपड़ा धोने की जगहें तथा नाली की जगहें (ताकि पाी का प्रदूषण कम किया जा सके)
  • पुलों की ऊपरी धाराएं ताकि तीव्रता और अशांति कम की जा सके

पर्यावरण में बदलाव को लेकर लचीलापन

कंक्रीट पर सूखे का प्रभाव

सूखे का प्रभाव: खराब कंक्रीट के कारण टैंक, बांध, जलमार्ग कुओं तथा अन्य ढांचों में दरारें.
इसकी वजह: तराई के लिए कम पानी का इस्तेमाल या निर्माण सामग्री में अशुद्ध पानी का प्रयोग.
कैसे हो सुधार: विनिर्माण मिश्रण को सही तरीके से तैयार किया जाए, अनुपात सही हो, निर्माण सामग्री सही हो, मिश्रण में पानी बहुत कम रहे और तराई पर्याप्त हो.

सूखे के प्रबंधन पर अधिक जानकारी: सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लचीला वॉश सिस्टम.

विनिर्माण, परिचालन और रखरखाव

रिवर-बॉटम इनटेक मैकेनिक्स.
जूम करने के लिये चित्र पर क्लिक करें.

छोटे समुदायों को उपलब्ध कराने के लिए कम मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है. इस काम में अक्सर एकदम साधारण ढांचों का इस्तेमाल किया जाता है. प्रति व्यक्ति 30 लीटर पानी की रोजाना खपत और अत्यधिक खपत के दौर में इसका चार गुना खपत होने पर 1,000 लोगों के लिए 1.4 आई/एस की क्षमता पर्याप्त है. इसके लिए 150 मिमी व्यास का पाइप पर्याप्त है. अगर पानी की आवक गति कम हो तो 60 मिमी व्यास वाला पाइप भी पर्याप्त होगा.

पानी ग्रहण करने वाले ढांचे का तल नदी के तल से कम से कम एक मीटर ऊंचा होना चाहिए ताकि किसी तरह के पत्थर आदि को उसमें प्रवेश करने से रोका जा सके. इस ढांचे में हमेशा एक या एक से अधिक झिल्लियों का प्रयोग किया जाना चाहिए ताकि कचरे और पेड़ों की शाखाओं आदि को बहकर उसमें मिलने से रोका जा सकेे. इस क्रम में परोक्ष छंटनी की सलाह दी जाती है जिससे पानी के बहाव में कोई बाधा न उत्पन्न हो. टैंक में पानी जाने की गति धीमी होनी चाहिए. प्राय: यह गति 0.1 मीटर प्रति सेकंड से कम होनी चाहिए. स्क्रीन की सफाई के लिए प्राकृतिक धारा का प्रयोग करने के लिए निम्र बातों को ध्यान में रखना चाहिए:

  • स्क्रीन या छंटनी उपाय की धुरी पानी के बहाव के समांतर हो
  • ऐसी जगहों का प्रयोग न करें जहां बहाव थम जाता हो क्योंकि उनमें कचरा आता है.
  • जाली संबंधी उपाय के चारों ओर पर्याप्त मात्रा में पानी होना चाहिए.

नदी में जल एकत्रित करने के लिए यह जरूरी है कि उसमें पानी पर्याप्त गहराई में उपलब्ध हो. इसके लिए धारा के निचले स्तर में एक डूबे हुए बांध का निर्माण किया जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सूखे के दिनों में भी पर्याप्त पानी उपलब्ध रहेगा. ऐसा बांध दरअसल एक छोटा सा ढांचा होता है और उससे यह अपेक्षा नहीं की जा सकती है कि वह किसी तरह के भंडारण धारा को संतुलित करने का काम करेगा. आदर्श स्थिति में तो इसका निर्माण एक चट्टान पर किया जाना चाहिए ताकि उसकी धारण क्षमता अच्छी रहे और किसी भी तरह की फिसलन से निजात रहे. रेतीली मिट्टी जो रिसाव को कम करे और संसंजन बढ़ाए, उसे भी बुनियादी सामग्री के रूप में स्वीकार किया जा सकता है. बांध में एक ऊपरी धारा होगी तो वह स्थिरता पैदा करेगी और निस्यंदन कम करेगी.

छानना

जलापूर्ति इंजीनियरिंग में छंटाई प्रक्रिया का इस्तेमाल कई उद्देश्यों से किया जाता है: बहते कचरे या ठिठके हुए बड़े कचरे को छानने के लिए जो अन्यथा पाइप लाइन को जाम कर सकता है, पंप को नुकसान पहुंचा सकता है और अन्य उपकरणों को क्षतिग्रस्त कर सकता है. यह कचरा जल उपचार प्रक्रिया को भी बाधित कर सकता है. स्थापित जालियों का इस्तेमाल इस उद्देश्य से किया जाता है और उनको हाथ से या मैकेनिकल तरीके से साफ भी किया जाता है. फिल्टरों को बहुत जल्दी जाम हो जाने से रोकने के लिए भी जालियों का प्रयोग किया जाता है.

पानी को करीब करीब स्थित छड़ों के बीच से गुजार कर इस काम को अंजाम दिया जाता है. इससे पानी की रासायनिक अथवा जीवाणु संबंधी गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ता. यह केवल बड़े कचरे को छांटने का काम करता है. यह पूरी तरह मैकेनिकल प्रकृति का उपाय है. स्क्रीनिंग के लिए जो छड़ें प्रयोग में लाई जाती हैं वे प्राय: स्टील की होती हैं और उनको 0.5 से 5 सेमी की दूरी पर स्थापित किया जाता है.

अगर छांटे जाने वाले कचरे का आकार बहुत छोटा हो तो इन छड़ों को बहुत करीब-करीब स्थापित किया जा सकता है और कचरे की सफाई हाथ से की जा सकती है. अगर बड़ी मात्रा में कचरा निकलता हो तो हाथ से की जाने वाली सफाई व्यवहार्य हो सकती है, सफाई के काम को सुविधाा जनक बनाने के लिए छड़ों को 30 से 45 डिग्री के कोण पर लगाया जाना चाहिए.

पानी को इस स्क्रीन की ओर बहुत धीमी गति से बहना चाहिए. एक बार पानी इसके पार हो गया तो उसकी गति कुछ हद तक बढ़ सकती है.

छड़ों के बीच के खुले स्थान में पानी के बहाव की अधिकतम गति 0.7 मीटर प्रति सेकंड होनी चाहिए अन्यथा नरम और आकार बदल सकने वाला कचरा उससे पार हो जाएगा. एक अच्छी स्क्रीन पानी को महज कुछ सेंटीमीटर ऊंची धारा से गिराती है जबकि अगर कचरा एकत्रित हो गया तो यह ऊंचाई बढ़ भी सकती है. नियमित सफाई से इसे 0.1 से 0.2 मीटर तक सीमित रखा जा सकता है.अगर सफाई देरी से होनी हो तो इसे कुछ इस तरह डिजाइन किया जाना चाहिए कि बार स्क्रीन 0.5 से 1.0 मीटर तक की गिरावट के लिए तैयार रहे.

रखरखाव

नदी तल जल संरक्षण के लिए प्राय: एक व्यक्ति तैनात रहता है. इसकी नियमित जांच और बाधित करने वाले कचरे को हटाया जाना आवश्यक है. इसके अलावा किसी भी तरह की टूटफूट का सुधार किया जाना चाहिए. बालू से बने शोधक की नियमित सफाई की जानी चाहिए. जालियों तथा धातु से बने अन्य हिस्सों को रंगना भी रखरखाव का हिस्सा है. बालू शोधक और जालियों की नियमित रूप से सफाई की जानी चाहिए. जरूरत पडऩे पर जालियोंं अथवा वॉल्व में सुधार भी किया जाना चाहिए. किसी भी तरह के क्षरण का तत्काल निदान किया जाना चाहिए. हर वर्ष कंक्रीट के ढांचे को परखा जाना चाहिए ताकि किसी भी तरह की दरार या अन्य कमी को दूर किया जा सके. सालाना सफाई या बड़े सुधार कार्य में पानी का इस्तेमाल करने वालों की मदद की जरूरत पड़ सकती है.

संभावित दिक्कतें

  • गंदगी या कचरे से जाम होना
  • जल धारा के बहाव से प्रभावित होना
  • नदी या झील के पानी का प्रदूषित होना
  • सूखे दिनों में शायद नदी में इतना पानी न हो कि सबको आपूर्ति की जा सके.

नियमावली, वीडियो और लिंक

संदर्भ साभार