Difference between revisions of "वाटर पोर्टल / वर्षाजल संचयन / भूजल पुनर्भरण / समोच्च-कंटूर खत्तियाँ"

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[http://www.ektitli.org/2011/11/21/successful-water-conservation-in-awalkhed-village-nasik/ Successful Water Conservation in Awalkhed Village, Nasik.]
 
[http://www.ektitli.org/2011/11/21/successful-water-conservation-in-awalkhed-village-nasik/ Successful Water Conservation in Awalkhed Village, Nasik.]
  
===Manuals, videos, and links===
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===नियमावली, वीडियो और लिंक===
* Manual: [http://www.sswm.info/sites/default/files/reference_attachments/PRAMANA%202007%20The%20Design%20of%20Contour%20Trenches%20in%20Vietnam.pdf The Design of Contour Trenches in Vietnam] Copyright by Kharis Erasta Reza Pramana Delft, The Netherlands, October 2007.
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* मैनुअल: [http://www.sswm.info/sites/default/files/reference_attachments/PRAMANA%202007%20The%20Design%20of%20Contour%20Trenches%20in%20Vietnam.pdf वियतनाम में क्यारीदार ट्रेंच-खन्तियों का डिजाइन] कॉपीराइट खारिसज एरास्ता रजा प्रमाना डेल्फट, द नीदरलैंउ, अक्टूबर 2007
  
* Manual: [http://www.bebuffered.com/downloads/sussman_contour_trenches.pdf Design Manual: Contour Trenches] - Using the "A" frame and how to make a contour trench.
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* Manual: [http://www.bebuffered.com/downloads/sussman_contour_trenches.pdf डिजाइन मैनुअल: सम्मोच्च ट्रेंच-खन्तियाँ] - '''ए-A''' फ्रेम का प्रयोग करके ट्रेंच-खन्तियों का निर्माण, और इनको बनाने का तरीका.
  
* Large wiki on water use for agriculture: [http://agropedia.iitk.ac.in/ Agropedia]
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* कृषि के लिए पानी के इस्तेमाल की गहन जानकारी [http://agropedia.iitk.ac.in/ एग्रोपीडिया]
  
 
===Acknowledgements===
 
===Acknowledgements===

Revision as of 09:31, 5 December 2015

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Contour trch icon.png
Contour trench under construction and measuring contours with hose pipes. Photo: WTC.

समोच्च-कंटूर खत्तियाँ (ट्रेंचेज) कुछ और नहीं बल्कि खेतों की ढलान पर खुदाई का अलग तरीका हैं. ये खत्तियाँ-ट्रेंचेज दरअसल पहाड़ी इलाकों में कुछ इस तरह से खोदी और बनाई जाती हैं कि के पानी के बहाव से आड़ी दिशा में होती हैं. इन क्यारियों की खुदाई में जो मिट्टी निकलती है उसे निकालकर तब बची हुई मिट्टी को एकत्रित कर मेड़ का निर्माण किया जाता है. इन मेड़ों पर स्थायी रूप से पौधरोपण की जा सकती है. इस काम में स्थानीय घास का प्रयोग किया जाता है. इससे मिट्टी को स्थिरता मिलती है और किसी भी तरह के कटाव की आशंका पूरी तरह समाप्त हो जाती है. यह बात भारी बारिश के दिनों में भी उसे स्थिरता प्रदान करती है.

इनको सिंचाई नहर का नाम नहीं दिया जा सकता है. बल्कि इनका इस्तेमाल बहते पानी को एकत्रित करने और उसकी गति को कम करने के लिए किया जाता है. एकत्रित होने के बाद यह पानी मिट्टी में समाहित हो जाता है. छोटे पैमाने पर ऐसी नहरों का इस्तेमाल मैदानी खेतों में भी किया जा सकता है. जो पानी मिट्टी में समाहित होता है उसकी वजह से मिट्टी में नमी आती है जो अंतत: बारिश के बाद फसल उत्पादन में मददगार साबित होती है. इसके अलावा इसका सीधा इस्तेमाल पंप के जरिए सिंचाई या उथले कुओं से पानी निकालने के काम में भी किया जा सकता है.

किन तरह की परिस्थतियों में यह तकनीक काम में आती है

  • पानी के नैसर्गिक बहाव वाले स्थानों की पहचान करना लेकिन 10 फीसदी से अधिक ढाल पर नहीं.
  • आसपास की मिट्टी में भरपूर धारण क्षमता होनी चाहिए और साथ ही उप सतह पर पानी भंडारित करने की क्षमता भी होनी चाहिए.
  • जिन इलाकों में तेज तूफान आदि आते हैं वहां पानी का पूरी तरह बहने से रोकना मुश्किल हो सकता है. इससे बचने के लिए आधे से एक डिग्री के कोण वाली नालियां या जलमार्ग बनाए जाने चाहिए ताकि अतिरिक्त पानी को सफलतापूर्वक दूसरी नहरों में ले जाया जा सके.


लाभ नुकसान
- इससे आसपास की भूमि में पानी का रिचार्ज होता है जो मिट्टी में नमी की स्थिति सुधारता है.

- कृषि उत्पादकता में सुधार और चारागाहोंं का विकास होता है. इसके अलावाा पालतु पशुओं के लिए पानी उपलब्ध होता है और सूखे की आशंका कम होती है.
- मिट्टी का कटाव कम होता है.
- उथले कुओं में पानी का स्तर बढ़ता है.
- भूजल का खारापन कम होता है.
- प्रदूषक तत्व जल स्रोतों में नहीं मिलते हैं.
- इसके लिए किसी खास डिजाइन की आवश्यकता नहीं होती है बस मौजूदा क्यारियों से ही नाली निकासी व्यवस्था की जा सकती है.

- भूजल का रिचार्ज होना सुनिश्चित नहीं है क्योंकि स्थानीय उप सतहीय परिस्थतियां इसमें भूमिका निभाती हैं.

- इनमें कटाव होता है और इनको निरंतर देखरेख की आवश्यकता होती है.
- स्थानीय भूस्वामियों में इनके लाभ को लेकर पर्याप्त समझ नहीं होती है. शुरुआती सालों में उनको इसके लाभ को लेकर आश्वस्त कर पाना मुश्किल होता है.
- रिचार्ज क्षमता और पानी की पारगमन क्षमता को लेकर पूरी जानकारी जरूरी है. अगर वर्षा को लेकर अच्छे आंकड़े उपलब्ध नहीं हुए तो इसमें मुश्किल जा सकती है.
- Lack of understanding by landowners about advantages of contour trenches; difficult to convince them during the first year to give their land for trench construction
- Can increase land fragmentation
- Costly and in-depth analysis of hydrology/runoff gullies
- Recharge capacity/permeability information is needed, which is difficult to get if no in-depth rainfall data is available
- Expensive cost of implementation where mechanical excavating machinery is used

पर्यावरण संबंधी बदलाव को लेकर लचीलापन

सूखा

सूखे का प्रभाव: कम फसल पैदावार.
इसका प्रभाव: जल स्तर में कमी, जल स्रोतों में कम रिचार्ज और फसलों के लिए कम पानी.
डब्ल्यूएएसएच सिस्टम में लचीलापन बढ़ाने के लिए:: किसानों की आजीविका में विविधता पैदा करना जरूरी.

सूखे के प्रबंधन पर अधिक जानकारी: सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लचीला वॉश सिस्टम का प्रयोग.

बाढ़

ये समोच्च-कंटूर खत्तियाँ (ट्रेंचेज) बाढ़ को नियंत्रित करने में मदद करती हैं. अगर वर्षा बहुत तेज हो तो मेड़ के बाहरी किनारों पर पौधरोपण करने से न केवल मेड़ मजबूत होती हैं और कटाव बंद होता है बल्कि मिट्टी का क्षरण भी बंद होता है.

विनिर्माण, परिचालन और रखरखाव

An example of contour trench in Kitenden, Vietnam.
Source: Westerveld Conservation Trust

व्यर्थ बह जाने वाले पानी को थामने के लिए सही आकार की खत्तियाँ-ट्रेंचेज बनाने के क्रम में निम्नलिखित जानकारियां और विश्लेषण आवश्यक हैं.

  • जल भराव क्षेत्र जिसे स्थान विशेष के नक्शे के आधार पर तय किया गया हो.
  • बारिश का विस्तृत ब्योरा जिसका इस्तेमाल बारिश की आवृत्ति का विश्लेषण करने में किया जाता हो. इस आंकड़े का इस्तेमाल करके वर्षा की तीव्रता और उसके बहाव का अनुमान लगाया जा सकता है. इस काम में मृदा संरक्षण शैली का इस्तेमाल किया जा सकता है. यह एक साधारण तरीका है जिसकी मदद से अनाकलित क्षेत्र में यूंही बह जाने वाले पानी का आकलन किया जाता है. इस आकलन के लिए निम्र चीजों की आवश्यकता होती है: एक खास बारिश की आवृत्ति का अंतर, कैचमेंट क्षेत्र, मिट्टी की विशेषता और जमीन का इस्तेमाल. इन तमाम चीजों को ध्यान में रखकर बहने वाले पानी का आकलन किया जा सकता है.
  • मिट्टी में रिसाव की दर और उसके गुणों की जांच तो स्थल विशेष पर किए गए परीक्षणों के बाद ही पता चल सकती है. यानी उक्त मिट्टी कितनी चिकनी या बालूदार है और कितना पानी सोखती है.
  • एक बार जब इलाके में बारिश और मिट्टी से संबंधित आंकड़े जुटा लिए जाते हैं तब उक्त ट्रेंच-खन्तियों की क्षमता का निर्धारण किया जा सकता है. बारिश के मौसम में बहने वाले पानी की मात्रा को रिसने वाले पानी में से घटाकर उसकी क्षमता का आकलन किया जा सकता है.
  • अब ट्रेंच-खन्तियों के आकार और कैचमेंट के जगह का आकलन किया जा सकता है. स्थानीय प्राथमिकताओं के साथ इसकी तुलना करने के बाद समायोजन कर लिया जाना चाहिए. वियतनाम में ऐसी ट्रेंच-खन्तियों का निर्माण मूलरूप से 4 मीटर चौड़ाई और एक मीटर गहराई में किया गया था लेकिन बाद में स्थानीय लोगों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इनको ऊपर 2.5 मीटर और सतह पर एक मीटर चौड़ा तथा कुल 0.75 मीटर गहरा कर दिया गया. लंबी अवधि के दौरान पानी के बहाव को भंडारित करने के लिए ट्रेंच-खन्तियों को आकार समुचित होना चाहिए. ऐसा करने से रखरखाव की कमी होने पर भी पानी भंडारित किया जा सकताह है. किनारों का कटाव और खारीकरण होने के कारण पानी का रिसाव कम हो जाता है और पानी का भंडारण भी कम हो जाता है.
  • किसी इलाके में बड़ पैमाने पर इन ट्रेंच-खन्तियों का निर्माण करने के पहले प्रायोगिक तौर पर इनका निर्माण कर लेना बेहतर होता है.

ट्रेंच-खन्तियों की खुदाई

  • जिन इलाकों में ये ट्रेंच-खन्तियाँ खोदी जाती हैं वहां हल चलाने की अनुशंसा नहीं की जाती है क्योंकि इससे वाष्पीकरण को गति मिलती है.
  • इन क्यारीदार ट्रेंच-खन्तियों का इस्तेमाल प्रमुख तौर पर पौधों की वृद्धि को गति प्रदान करने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जाता है. वियतनाम में हम इसका उदाहरण देख चुके हैं. यह केवल भूजल स्तर में इजाफा करने का काम नहीं करती. लेकिन इसके दो लाभ होने के चलते इसके निर्माण, परिचालन और रखरखाव में रुचि बढ़ती है. वियतनाम में लोग भूस्वामियों का एक समूह बनाना चाहते थे ताकि वे फसल क्रम में निरंतरता रखने के लिए इनकी देखरेख का काम करें.
  • भूजल के उथले स्तर के चलते एक तरह की स्थिरता आती है क्योंकि लोगों की वास्तविक चिंता आर्थिक ही है.
  • खुदाई के क्रम में निकलने वाली मिट्टी का इस्तेमाल क्यारियों में किया जा सकता है.
  • ट्रेंच-खन्तियों को बालू के बांध की दीवार से जोड़ा जा सकता है.इससे रिसाव बढ़ता है.
  • परियोजना के डिजाइन में आम लोगों को शामिल करने से यह सुनिश्चित होता है कि उनकी भागीदारी बनी रहेगी.

लागत

  • वियतनाम में ट्रेंच-खन्तियों के पूरा हो जाने के बाद किसान कम लागत वाले ऋण के बारे में चर्चा कर रहे थे कि उसे कैसे हासिल किया जाए.यह ऋण ऐसा होना चाहिए जिसे अधिक से अधिक समय में चुकता किया जा सके. इसलिए ताकि बाकी जगहों पर इसका अनुकरण किया जा सके. जाहिर है इस तकनीक को आगे बढ़ाने में वित्तीय मदद अहम है.
  • वियतनाम में खुदाई की लागत प्रति हेक्टेयर करीब 1,000 यूरो रही.
  • इस दौरान प्रति घन मीटर 2.6 डॉलर या प्रति 100 हेक्टेयर 4,100 डॉलर की राशि लगी.

जमीनी अनुभव

  • वितयनाम के अनुभवों से पता चलता है कि ट्रेंच-खन्तियों के करीब स्थित 7 उथले कुओं में से कम से कम 5 कुओं में जिनका जल स्तर पहले भू स्तर से 3 से 18 मीटर तक कम था उसमें वर्षा के बाद 60 मिमी तक का इजाफा देखने को मिला. ऐसा इन ट्रेंच-खन्तियों के जरिए होने वाले रिसाव के चलते हुआ. हालांकि वियतनाम में उप सतही परिस्थितियों के कारण भूजल स्तर का रिचार्ज होना अनिश्चित है. ट्रेंच-खन्तियों के करीब स्थित 7 में से 2 कुएं इससे बेअसर रहे. शायद ऐसा भौगोलिक सतह के रिसाव को रोक देने के कारण हुआ. यह संभावना हमेशा रहती है कि शायद ये मेड़ें सफल न हों.

Successful Water Conservation in Awalkhed Village, Nasik.

नियमावली, वीडियो और लिंक

Acknowledgements