Difference between revisions of "वाटर पोर्टल / वर्षाजल संचयन / भूजल पुनर्भरण / रिसन तालाब"

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- बांधों की देखरेख के लिए सामुदायिक प्रयासों की आवश्यकता होती है और सामुदायिक संस्थान इस लिहाज से बहुत मजबूत नहीं नजर आते.
 
- बांधों की देखरेख के लिए सामुदायिक प्रयासों की आवश्यकता होती है और सामुदायिक संस्थान इस लिहाज से बहुत मजबूत नहीं नजर आते.
 
- वाष्पीकरण की तेज प्रक्रिया
 
- वाष्पीकरण की तेज प्रक्रिया
- निर्माण की लागत ज्यादा. भारत जैसे देश में 10,000 से 15,000 घन मीटर आकार के तालाब के निर्माण में 5000 से 10,000 डॉलर की लागत आती है. (देखें: प्राकृतिक जमीन जलागम और जलाशय-रिजर्वायर [[Natural ground catchment and Open water reservoir]] for details).<br>
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- निर्माण की लागत ज्यादा. भारत जैसे देश में 10,000 से 15,000 घन मीटर आकार के तालाब के निर्माण में 5000 से 10,000 डॉलर की लागत आती है. ( अधिक जानकारी के लिये देखें: प्राकृतिक जमीन जलागम और जलाशय-रिजर्वायर [[Natural ground catchment and Open water reservoir]]).<br>
 
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===पर्यावरण में बदलाव के लिहाज से लचीलापन===
 
===पर्यावरण में बदलाव के लिहाज से लचीलापन===
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'''सूखे का प्रभाव:''':  पानी की गुणवत्ता में गिरावट, कुओं और बोरहोल के जल स्तर में कमी. <br>
 
'''सूखे का प्रभाव:''':  पानी की गुणवत्ता में गिरावट, कुओं और बोरहोल के जल स्तर में कमी. <br>
 
'''इसकी वजह''':  जल स्तर में कमी, इसके चलते जलीय पौधों में वृद्धि और रिचार्ज में गिरावट
 
'''इसकी वजह''':  जल स्तर में कमी, इसके चलते जलीय पौधों में वृद्धि और रिचार्ज में गिरावट
  
सूखे के प्रबंधन पर अधिक जानकारी: [[सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लचीला वॉश सिस्टम का प्रयोग]].
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सूखे के प्रबंधन पर अधिक जानकारी: [[Resilient WASH systems in drought-prone areas  | सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लचीला वॉश सिस्टम का प्रयोग]].
  
 
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===विनिर्माण परिचालन और रखरखाव===
 
===विनिर्माण परिचालन और रखरखाव===
[[Image:InfiltrationPond_diagram.jpg|thumb|right|200px| Cross section diagram of a SUDS infiltration basin <br> Source: Environment Agency (2006)]]
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[[Image:InfiltrationPond_diagram.jpg|thumb|right|200px| एसयूडीएस रिसाव बेसिन का एक क्रॉस सेक्शन डायग्राम. (2006) <br> स्रोत: पर्यावरण एजेंसी (2006)]]
  
 
सबसे प्रमुख मुद्दा है कीचड़ को कम करना. इसके लिए रिसन-इन्फिल्ट्रेशन क्षमता का बेहतर होना आवश्यक है. इसे कम करने की कई तकनीक मौजूद हैं:
 
सबसे प्रमुख मुद्दा है कीचड़ को कम करना. इसके लिए रिसन-इन्फिल्ट्रेशन क्षमता का बेहतर होना आवश्यक है. इसे कम करने की कई तकनीक मौजूद हैं:
  
 
* तालाब में कीचड़ बनाने वाली सामग्री कम से कम पहुंचे इसके लिए व्यवस्था करनी चाहिए. पानी के तालाब में पहुंचने के पहले बालू वाले बेसिन कीचड़ कम करने में मदद कर सकते हैं. पानी के बहाव वाले इलाके में देसी घास का इस्तेमाल करके भी कीचड़ की समस्या से निजात पाई जा सकती है. कितुई जिले में कांबिति फार्म इस बात का बढिय़ा उदाहरण है कि कैसे पहले खस्ता हो चुकी जमीन का प्रबंधन किया गया और कैसे चारागाह के प्रबंधन के चलते खुले बांध भी कीचड़ से ग्रस्त नहीं हुए. वृक्षों या घास की मेढ़ बनाना भी एक कामयाब उपाय साबित हुआ. अगर पानी की आवक वाली नहर स्पष्ट हो तो कीचड़ रोधी उपाय अपनाए जा सकते हैं. तंजानिया के चारको बांध में इस उपाय को अपनाया जा चुका है. इस मामले में नहर के चारों ओर लगाए गए पत्थरों ने एक छोटा सा बांध बना दिया और इनके बीच पौधे उगने की वजह से पानी के बहाव की गति रुक सी गई और इसने कीचड़ को थामने में मदद की. जिन जगहों पर जलस्रोत की गुणवत्ता अच्छी है वहां भी कीचड़ या अन्य कचरा जमा हो सकता है लेकिन तालाब के किनारों और आधार को 0.5 मीटर मोटी बालू की परत से ढक कर इससे बचा जा सकता है.
 
* तालाब में कीचड़ बनाने वाली सामग्री कम से कम पहुंचे इसके लिए व्यवस्था करनी चाहिए. पानी के तालाब में पहुंचने के पहले बालू वाले बेसिन कीचड़ कम करने में मदद कर सकते हैं. पानी के बहाव वाले इलाके में देसी घास का इस्तेमाल करके भी कीचड़ की समस्या से निजात पाई जा सकती है. कितुई जिले में कांबिति फार्म इस बात का बढिय़ा उदाहरण है कि कैसे पहले खस्ता हो चुकी जमीन का प्रबंधन किया गया और कैसे चारागाह के प्रबंधन के चलते खुले बांध भी कीचड़ से ग्रस्त नहीं हुए. वृक्षों या घास की मेढ़ बनाना भी एक कामयाब उपाय साबित हुआ. अगर पानी की आवक वाली नहर स्पष्ट हो तो कीचड़ रोधी उपाय अपनाए जा सकते हैं. तंजानिया के चारको बांध में इस उपाय को अपनाया जा चुका है. इस मामले में नहर के चारों ओर लगाए गए पत्थरों ने एक छोटा सा बांध बना दिया और इनके बीच पौधे उगने की वजह से पानी के बहाव की गति रुक सी गई और इसने कीचड़ को थामने में मदद की. जिन जगहों पर जलस्रोत की गुणवत्ता अच्छी है वहां भी कीचड़ या अन्य कचरा जमा हो सकता है लेकिन तालाब के किनारों और आधार को 0.5 मीटर मोटी बालू की परत से ढक कर इससे बचा जा सकता है.
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* तालाबों को लेकर आवृत्तिक शैली अपनाई जा सकती है इससे कुछ तालाब सूखेंगे जबकि अन्य का प्रयोग होगा. जो तालाब सूख जाएंगे उनका इस्तेमाल रिसन-इन्फिल्ट्रेशन दर बहाल करने में किया जाएगा जबकि जो सूखने की प्रक्रिया में होंगे उनमें जलीय पौधों को नष्ट किया जा सकता है. इस मामले में तालाब को उथला होना आवश्यक है ताकि खाली करते वक्त पानी की निकासी तेज गति से हो सके.
 
* तालाबों को लेकर आवृत्तिक शैली अपनाई जा सकती है इससे कुछ तालाब सूखेंगे जबकि अन्य का प्रयोग होगा. जो तालाब सूख जाएंगे उनका इस्तेमाल रिसन-इन्फिल्ट्रेशन दर बहाल करने में किया जाएगा जबकि जो सूखने की प्रक्रिया में होंगे उनमें जलीय पौधों को नष्ट किया जा सकता है. इस मामले में तालाब को उथला होना आवश्यक है ताकि खाली करते वक्त पानी की निकासी तेज गति से हो सके.
  
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किसी न किसी स्तर पर तालाब से कीचड़ हटाने की आवश्यकता पड़ती ही है. डीसीएम में सुधार के स्तर पर अपनाए जाने वाले तरीकों की तुलना में और अधिक स्थायित्व भरे तरीके भी हो सकते हैं जो कीचड़ हटाने के काम में मदद कर सकते हैं. डीसीएम में यह काम स्वयंसेवी संगठन करते हैं क्योंकि वहां सामुदायिक सहयोग नाकाफी होता है. भारत में रिसन-इन्फिल्ट्रेशन वाले तालाबों का हमारा अनुभव यह बताता है कि इस काम में सहयोग हासिल करना बहुत मुश्किल है खासतौर पर तब जबकि किसानों को तालाबों से कोई प्रत्यक्ष लाभ ही नजर नहीं आ रहा हो. गाद निकालने का एक तरीका तो यही है कि निजी खेतों मेंं तालाब बनाने को बढ़ावा दिया जाए. क्योंकि अगर तालाब किसान के खेत में हुआ तो वह खुद उसकी गाद निकालेगा. तब स्वयंसेवी संगठनों के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं रहेगी. भारत के अनुभव बताते हैं कि जिन स्थानों पर किसानों ने अपनी जमीन पर तालाब बनाए वहां प्रथमदृष्ट्या अगल-बगल की जमीन तो रिचार्ज हुई ही साथ ही पूरे समुदाय को इसका लाभ मिला.
 
किसी न किसी स्तर पर तालाब से कीचड़ हटाने की आवश्यकता पड़ती ही है. डीसीएम में सुधार के स्तर पर अपनाए जाने वाले तरीकों की तुलना में और अधिक स्थायित्व भरे तरीके भी हो सकते हैं जो कीचड़ हटाने के काम में मदद कर सकते हैं. डीसीएम में यह काम स्वयंसेवी संगठन करते हैं क्योंकि वहां सामुदायिक सहयोग नाकाफी होता है. भारत में रिसन-इन्फिल्ट्रेशन वाले तालाबों का हमारा अनुभव यह बताता है कि इस काम में सहयोग हासिल करना बहुत मुश्किल है खासतौर पर तब जबकि किसानों को तालाबों से कोई प्रत्यक्ष लाभ ही नजर नहीं आ रहा हो. गाद निकालने का एक तरीका तो यही है कि निजी खेतों मेंं तालाब बनाने को बढ़ावा दिया जाए. क्योंकि अगर तालाब किसान के खेत में हुआ तो वह खुद उसकी गाद निकालेगा. तब स्वयंसेवी संगठनों के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं रहेगी. भारत के अनुभव बताते हैं कि जिन स्थानों पर किसानों ने अपनी जमीन पर तालाब बनाए वहां प्रथमदृष्ट्या अगल-बगल की जमीन तो रिचार्ज हुई ही साथ ही पूरे समुदाय को इसका लाभ मिला.
  
===Costs===
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===लागत===
Percolation pond, capacity 10,000 - 15,000 m3 (India) US$ 5,000 - 15,000
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रिसन-इन्फिल्ट्रेशन वाले तालाब, क्षमता 10,000 से 15,000 घन मीटर (भारत) लागत- 5,000 से 15,000 डॉलर
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===जमीनी अनुभव===
  
===Field experiences===
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इसके उदाहरणों में दक्षिण अफ्रीका के डून ताला, परागुवे के ताजामार ताला और नाइजर के रिसन-इन्फिल्ट्रेशन वाले बेसिन शामिल हैं. बड़े बांधों का इस्तेमाल करके कृत्रिम रिचार्ज जल स्रोत भी बनाए जा सकते हैं. जॉर्डन इसका उदाहरण है. एक बांध का निर्माण 8 किलोमीटर दूर स्थित कुंए को रिचार्ज करने के लिए किया गया और पिछले छह साल के अनुभव बताते हैं कि भूजल स्तर में 25 से 40 मीटर का सुधार हुआ है. नेपाल में पारंपरिक तौर पर छोटे तालाबों ने जल धाराओं का पानी रिचार्ज करने में मदद की है.
Examples include dune infiltration ponds in South Africa, Tajamar ponds in Paraguay, and infiltration basins in Niger. Large dams can also be used to artificially recharge aquifers – in Jordan, one dam was constructed to recharge a well field 8km from the dam site, and experience from the past 6 years shows that groundwater levels have increased by 25-40 metres. In Nepal, small ponds traditionally helped to recharge spring water.
 
  
===Manuals, videos and links===
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===नियमावली, वीडियो और लिंक===
* [http://www.liv.ac.uk/surcase/themes_actions/sustainable_drainage.html Sustainable Drainage Systems (SUDS)]. University of Liverpool.
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* [http://www.liv.ac.uk/surcase/themes_actions/sustainable_drainage.html सस्टेनेबल ड्रेनेज सिस्टम (एसयूडीएस)]. लिवरपूल विश्वविद्यालय.
* [http://www.artificialrecharge.co.za/strategydocument/ARStrategySectB.pdf The Artificial Recharge Concept, its Application and Potential] Some examples from Africa, Europe, the Middle East, Australia and USA.
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* [http://www.artificialrecharge.co.za/strategydocument/ARStrategySectB.pdf कृत्रिम रिचार्ज की अवधारणा, इसका क्रियान्वयन और संभावना] अफ्रीका, यूरोप, मध्य पूर्व, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के उदाहरण.
* [http://www.portlandoregon.gov/bes/article/127474 Vegetated infiltration basins.] Use plants to filter the water and control flooding.
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* [http://www.portlandoregon.gov/bes/article/127474 पौधदार रिसन-इन्फिल्ट्रेशन बेसिन.] पानी की सफाई और उसके बहाव के नियंत्रण के लिए पौधों का इस्तेमाल.
* [http://www.samsamwater.com/library/Artificial_groundwater_recharge_for_water_supply_of_medium-size_communities_in_developing_countries.pdf ARTIFICIAL  GROUNDWATER  RECHARGE  FOR  WATER  SUPPLY  OF  MEDIUM-SIZE  COMMUNITIES  IN  DEVELOPING  COUNTRIES.] or ([http://www.washdoc.info/docsearch/title/108685 alternative link]). E.H.  Hofkes and J.T. Visscher. December, 1986.
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* [http://www.samsamwater.com/library/Artificial_groundwater_recharge_for_water_supply_of_medium-size_communities_in_developing_countries.pdf विकासशील देशों में मझोले आकार की जलापूर्ति के लिए कृत्रिम भूजल रिचार्ज.] या ([http://www.washdoc.info/docsearch/title/108685 वैकल्पिक लिंक]). ई एच होफक्स और जे टी विशर, दिसंबर 1986
  
===Acknowledgements===
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===संदर्भ-आभार===
* CARE Nederland, Desk Study: [[Resilient WASH systems in drought-prone areas]]. October 2010.
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* केयर नीदरलैंड, डेस्क स्टडी: [[Resilient WASH systems in drought-prone areas | सूखे की आशंका वाले इलाके में लचीली डब्ल्यूएएसएच व्यवस्था]]. अक्तूबर 2010.
* [http://www.washdoc.info/docsearch/title/169828 Smart Water Harvesting Solutions: Examples of innovative, low cost technologies for rain, fog, and runoff water and groundwater.] (or [alternative link]) Netherlands Water Partnership, Aqua for All, Agromisa, et al. 2007.
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* [http://www.washdoc.info/docsearch/title/169828 स्मार्ट वाटर हार्वेस्टिंग सॉल्युशंस: बारिश, कोहरा और बहते पानी और भूजल के लिए नवाचारी, कम लागत वाली तकनीक.] (अथवा [-- वैकल्पिक लिंक]) नीदरलैंड जल साझेदारी, एक्वा फॉर ऑल, एग्रोमिसा, 2007

Latest revision as of 23:04, 24 October 2016

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Aquifer recharge icon.png
नामीबिया के ओमडेल में एक रिसन-इन्फिल्ट्रेशन बेसिन. यह जल स्रोत वाल्विस खाड़ी, स्वाकोपमंड और हेनताइस खाड़ी के तटीय इलाके के लोगों को पानी उपलब्ध कराता है. रोसिंग की एक बड़ी ओपन पिट खदान.

रिसन तालाब (इन्हें रिसाव बेसिन (इनफिल्ट्रेशन बेसिन) या पारगमन तालाब (परकुलेशन पॉण्ड) भी कहते हैं) खुले और बड़े तालाब होते हैं जिनको या तो खोदा जाता है या खुद जमीन का ऐसा हिस्सा होता है जो खुद तटीय इलाकों से घिरा रहता है. इसका कुल क्षेत्र प्राय: 15,000 घन मीटर तक होता है. इनमें वर्षा जल संरक्षण किया जाता है लेकिन इसका प्रमुख लक्ष्य होता है इस पानी को जलाशयों तक पहुंचाना ताकि वहां से यह बोर होल, कुओं और आसपास की जलधाराओं तक पहुंचाया जा सके. इनका निर्माण ऐसे इलाकों में किया जाता है जहां तालाब का आधार पारगमन क्षमता वाला हो और जहां इसकी मदद से आसपास के इलाकों का भूजल रिचार्ज किया जा सके.

किन तरह की परिस्थतियों में यह तकनीक काम में आती है

जिन जल स्रोतों को रिचार्ज करना है उनका सतह के करीब होना आवश्यक है. तालाब का आधार पारगमन क्षमता युक्त होना चाहिए. सामान्य तौर पर बारीक मिट्टी में पानी 30 मीटर सालाना तक रिसता है जबकि बलुआ मिट्टी में यह 100 मीटर वार्षिक और मोटी साफ बालू में 300 मीटर वार्षिक की दर से पानी का रिसन-इन्फिल्ट्रेशन होता है. जलाशयों के तल में रिसन-इन्फिल्ट्रेशन की दर निर्धारित करने का एक तरीका विकसित किया गया है जिसकी मदद से इस डिजाइन को मदद पहुंचायी जा सकती है. आदर्श स्थिति में रिसन-इन्फिल्ट्रेशन दर को वाष्पीकरण की दर से अधिक होना चाहिए.

ये तालाब प्राय: एक से चार मीटर तक गहरे होते हैं. इतनी गहराई जलीय पौधों की अतिरिक्त वृद्धि रोकने के लिए पर्याप्त होती है. जबकि तली में अन्य तरह की समस्या पैदा होने के हिसाब से इसे उथला ही माना जाता है. लेकिन तालाब का आकार जल धारण क्षेत्र और एक साल में उसके भराव की क्षमता को देखते हुए तय किया जाना चाहिए. एक जलधारण क्षेत्र में एकत्रित होने वाले पानी को देखते हुए ऐसी ही तकनीक को अन्य स्थानों पर भी आजमाया जा सकता है.


लाभ नुकसान
- आसपास की जमीन में भूजल रिचार्ज होता है जिससे मिट्टी में नमी की स्थिति सुधरती है, कृषि उत्पादकता में सुधार होता है और सूखे की आशंका कम होती है.

- उथले कुओं, बोर होल और जलधाराओं को रिचार्ज करने में सक्षम.
- मिट्टी का खारापन कम करने में मदद कर सकता है.

- क्षेत्र में पौधरोपण की कमी के चलते इनमें आसानी से भराव हो सकता है. इस भराव को कम करने में समय भी लगता है और पैसा भी.

- बांधों की देखरेख के लिए सामुदायिक प्रयासों की आवश्यकता होती है और सामुदायिक संस्थान इस लिहाज से बहुत मजबूत नहीं नजर आते. - वाष्पीकरण की तेज प्रक्रिया - निर्माण की लागत ज्यादा. भारत जैसे देश में 10,000 से 15,000 घन मीटर आकार के तालाब के निर्माण में 5000 से 10,000 डॉलर की लागत आती है. ( अधिक जानकारी के लिये देखें: प्राकृतिक जमीन जलागम और जलाशय-रिजर्वायर Natural ground catchment and Open water reservoir).

पर्यावरण में बदलाव के लिहाज से लचीलापन

सूखा

सूखे का प्रभाव:: पानी की गुणवत्ता में गिरावट, कुओं और बोरहोल के जल स्तर में कमी.
इसकी वजह: जल स्तर में कमी, इसके चलते जलीय पौधों में वृद्धि और रिचार्ज में गिरावट

सूखे के प्रबंधन पर अधिक जानकारी: सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लचीला वॉश सिस्टम का प्रयोग.

बाढ़

तालाब का डिजाइन इस तरह तैयार किया जाना चाहिए कि अधिकतम पानी के बहाव को भी वह बरदाश्त कर सके. तालाब के निकट पौधरोपण करने से मिट्टी में स्थिरता आती है. इस स्थिति में भारी बारिश होने पर भी किनारे कटते नहीं.

विनिर्माण परिचालन और रखरखाव

एसयूडीएस रिसाव बेसिन का एक क्रॉस सेक्शन डायग्राम. (2006)
स्रोत: पर्यावरण एजेंसी (2006)

सबसे प्रमुख मुद्दा है कीचड़ को कम करना. इसके लिए रिसन-इन्फिल्ट्रेशन क्षमता का बेहतर होना आवश्यक है. इसे कम करने की कई तकनीक मौजूद हैं:

  • तालाब में कीचड़ बनाने वाली सामग्री कम से कम पहुंचे इसके लिए व्यवस्था करनी चाहिए. पानी के तालाब में पहुंचने के पहले बालू वाले बेसिन कीचड़ कम करने में मदद कर सकते हैं. पानी के बहाव वाले इलाके में देसी घास का इस्तेमाल करके भी कीचड़ की समस्या से निजात पाई जा सकती है. कितुई जिले में कांबिति फार्म इस बात का बढिय़ा उदाहरण है कि कैसे पहले खस्ता हो चुकी जमीन का प्रबंधन किया गया और कैसे चारागाह के प्रबंधन के चलते खुले बांध भी कीचड़ से ग्रस्त नहीं हुए. वृक्षों या घास की मेढ़ बनाना भी एक कामयाब उपाय साबित हुआ. अगर पानी की आवक वाली नहर स्पष्ट हो तो कीचड़ रोधी उपाय अपनाए जा सकते हैं. तंजानिया के चारको बांध में इस उपाय को अपनाया जा चुका है. इस मामले में नहर के चारों ओर लगाए गए पत्थरों ने एक छोटा सा बांध बना दिया और इनके बीच पौधे उगने की वजह से पानी के बहाव की गति रुक सी गई और इसने कीचड़ को थामने में मदद की. जिन जगहों पर जलस्रोत की गुणवत्ता अच्छी है वहां भी कीचड़ या अन्य कचरा जमा हो सकता है लेकिन तालाब के किनारों और आधार को 0.5 मीटर मोटी बालू की परत से ढक कर इससे बचा जा सकता है.
  • तालाबों को लेकर आवृत्तिक शैली अपनाई जा सकती है इससे कुछ तालाब सूखेंगे जबकि अन्य का प्रयोग होगा. जो तालाब सूख जाएंगे उनका इस्तेमाल रिसन-इन्फिल्ट्रेशन दर बहाल करने में किया जाएगा जबकि जो सूखने की प्रक्रिया में होंगे उनमें जलीय पौधों को नष्ट किया जा सकता है. इस मामले में तालाब को उथला होना आवश्यक है ताकि खाली करते वक्त पानी की निकासी तेज गति से हो सके.
  • बेसिन के आधार पर रिज का निर्माण और पानी के स्तर को नियंत्रित करके भी बारीक कीचड़ का जमाव रोका जा सकता है. इससे रिज के किनारे पर अधिकाधिक रिसन-इन्फिल्ट्रेशन संभव होता है.
  • मैकेनिकल ढंग से उसके तल को उथला करके भी पानी का रिसन-इन्फिल्ट्रेशन बढ़ाया जा सकता है.

किसी न किसी स्तर पर तालाब से कीचड़ हटाने की आवश्यकता पड़ती ही है. डीसीएम में सुधार के स्तर पर अपनाए जाने वाले तरीकों की तुलना में और अधिक स्थायित्व भरे तरीके भी हो सकते हैं जो कीचड़ हटाने के काम में मदद कर सकते हैं. डीसीएम में यह काम स्वयंसेवी संगठन करते हैं क्योंकि वहां सामुदायिक सहयोग नाकाफी होता है. भारत में रिसन-इन्फिल्ट्रेशन वाले तालाबों का हमारा अनुभव यह बताता है कि इस काम में सहयोग हासिल करना बहुत मुश्किल है खासतौर पर तब जबकि किसानों को तालाबों से कोई प्रत्यक्ष लाभ ही नजर नहीं आ रहा हो. गाद निकालने का एक तरीका तो यही है कि निजी खेतों मेंं तालाब बनाने को बढ़ावा दिया जाए. क्योंकि अगर तालाब किसान के खेत में हुआ तो वह खुद उसकी गाद निकालेगा. तब स्वयंसेवी संगठनों के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं रहेगी. भारत के अनुभव बताते हैं कि जिन स्थानों पर किसानों ने अपनी जमीन पर तालाब बनाए वहां प्रथमदृष्ट्या अगल-बगल की जमीन तो रिचार्ज हुई ही साथ ही पूरे समुदाय को इसका लाभ मिला.

लागत

रिसन-इन्फिल्ट्रेशन वाले तालाब, क्षमता 10,000 से 15,000 घन मीटर (भारत) लागत- 5,000 से 15,000 डॉलर

जमीनी अनुभव

इसके उदाहरणों में दक्षिण अफ्रीका के डून ताला, परागुवे के ताजामार ताला और नाइजर के रिसन-इन्फिल्ट्रेशन वाले बेसिन शामिल हैं. बड़े बांधों का इस्तेमाल करके कृत्रिम रिचार्ज जल स्रोत भी बनाए जा सकते हैं. जॉर्डन इसका उदाहरण है. एक बांध का निर्माण 8 किलोमीटर दूर स्थित कुंए को रिचार्ज करने के लिए किया गया और पिछले छह साल के अनुभव बताते हैं कि भूजल स्तर में 25 से 40 मीटर का सुधार हुआ है. नेपाल में पारंपरिक तौर पर छोटे तालाबों ने जल धाराओं का पानी रिचार्ज करने में मदद की है.

नियमावली, वीडियो और लिंक

संदर्भ-आभार