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एक संरक्षित तटीय जलग्रहण नदी या झील के किनारे एक स्थायी जगह होती है, जहां से पानी किसी नहर या पंप तक जाने वाली पाइप से होकर बहती है. इस कुछ इस चरह बनाया जाता है कि यह बाढ़ से होने वाली क्षति का मुकाबला कर सके और गाद से होने वाली परेशानी को कम कर सके. तटीय जलग्रहण एक मजबूत संरचना होती है, जो अमूमन मजबूत कंकरीट से बनायी जाती है, और उसमें वॉल्व या स्लूइस बनाये जाते हैं ताकि अगर कुछ गाद जमा हो तो उसे बाहर निकाला जा सके. अक्सर, एक संरक्षित तटीय जलग्रहण नदी में एक वेयर से जुड़ा रहता है ताकि पानी एक निर्धारित स्तर तक ही सीमित रहे, उसमें एक सैंड ट्रैप भी होता है ताकि मिट्टी नीचे जमा हो सके, और एक नाली होती है ताकि अधिक पानी बाहर निकल सके. नदी का पानी तटीय जलग्रहण में स्क्रीन के जरिये अंदर आता है, और अधिक होने पर नाली के जरिये बाहर निकल जाता है. कई दफा, संरक्षित तटीय जलग्रहण एक डैम और बाहर निकालने वाली नाली से जुड़ा होता है जो नदी की धारा को फ्लश करने देता है.
उचित परिस्थितियां
- जलग्रहण का मुख्य उद्देश्य पानी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना है, जिसे स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से ढाला जा सकता है.
- विशाल नदियां जिनका जलस्तर ऊपर-नीचे होता रहता है, उनसे बचना चाहिये. ध्यान रखना चाहिये कि जलग्रहण को न्यूनतम जलस्तर से ऊपर कभी न रखें.
पर्यावरण में परिवर्तन के अनुकूल
सीमेंट पर सुखाड़ का प्रभाव
सुखाड़ का प्रभाव: जब जलस्तर नीचे चला जाता है तो कम गुणवत्ता वाले कंकरीट के साथ परेशानी होने लगती है, इसमें दरारें पड़ने लगती हैं (उदाहरण के तौर पर टैंक, डैम, जलवाहिनियों, कुओं, और दूसरी संरचनाओं में).
इस प्रभाव के कारण: सुखाने में कम पानी का इस्तेमाल; मिलाने में अशुद्ध जल का उपयोग.
वाश तंत्र के लचीलेपन को बढ़ाना: समुचित मिश्रण, अनुपात, सामग्रियों की शुद्धता को सुनिश्चित करें; मिश्रण में पानी की मात्रा कम करें; यह सुनिश्चित करें कि इसे ठीक से सुखाया गया हो.
सुखाड़ प्रबंधन पर अधिक सूचनाएं: रिसिलिएंट वाश सिस्टम इन ड्राउट प्रोन एरियाज.
निर्माण, संचालन और मरम्मत
— संरक्षित तटीय जलग्रहण तंत्र का संचालन अमूमन एक केयरटेकर करता है;
— वॉल्व या स्लूइस में रोजाना के हिसाब से बदलाव किया जा सकता है, नहर या पंप के गड्ढे के पास जमा कचरे को साफ किया जाना चाहिये और अगर कुछ क्षतिग्रस्त हो गया हो तो उसकी मरम्मत की जानी चाहिये;
— बचाव के लिए मरम्मत, जाली और दूसरे धात्विक हिस्सों की पेंटिंग की जानी चाहिये, जैसे स्लूइस और वॉल्व.
— जलग्रहण वाली नहर और वहां जमा गाद की सफाई की जानी चाहिये, जाली से कचरे की नियमित सफाई की जानी चाहिये, और अगर जाली क्षतिग्रस्त हो गयी हो तो उसकी वेल्डिंग की जानी चाहिये.
— बारिश के मौसम में, नालियों की जांच की जरूरत होती है और उसे बार-बार साफ करना चाहिये.
— नदी के किनारों और बेड में हुए अपरदन की तत्काल बोल्डर, चट्टान, सैंडबैग आदि की तत्काल मरम्मत की जानी चाहिये.
— हर साल कंकरीट में आई दरारों की मरम्मत की जानी चाहिये.
— सालाना साफ-सफाई और बड़े मरम्मत कार्य होने चाहिये. (इसके लिए जल उपयोगकर्ताओं की मदद की भी जरूरत पड़ सकती है.)
— बाढ़ के बाद सफाई आवश्यक हो सकती है.
ब्रिके और ब्रेडेरो के पब्लिकेशन अपने प्रकाशन लिंकिंग टेक्नोलॉजी च्वाइस विद ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस इन द कांटेक्स्ट ऑफ कम्युनिटी वाटर सप्लाई एंड सेनिटेशन : ए रेफरेंस डॉक्यूमेंट फॉर प्लानर्स एंड प्रोजेक्ट स्टाफ, में निम्न क्यू एंड एम गतिविधियों का सुझाव दिया है, जिनका जिक्र नीचे चार्ट में है :
संभावित समस्याएं
— गाद या कचरे द्वारा चोक कर जाना;
— नदी की धारा द्वारा तटीय जलग्रहण तंत्र का कमजोर पर जाना;
— नदी या झील के पानी का प्रदूषित हो जाना.
निर्देशिका, वीडियो और लिंक
- मुख्य जल ग्रहण संरचनाएं. एफएओ.
- सतही जलग्रहण और छोटे बांध. अध्याय 11. न्हामो मसांगनाइज द्वारा संशोधित.
Acknowledgements
- Brikke, François, and Bredero, Maarten. Linking technology choice with operation and maintenance in the context of community water supply and sanitation: A reference document for planners and project staff or (alternative link). World Health Organization and IRC Water and Sanitation Centre. Geneva, Switzerland 2003.
- CARE Nederland, Desk Study: Resilient WASH systems in drought-prone areas. October 2010.