Difference between revisions of "वाटर पोर्टल / वर्षाजल संचयन / भूजल पुनर्भरण / रिसन-इन्फिल्ट्रेशन कुंए"

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'''डब्ल्यूएएसएच-वाश सिस्टम का लचीलापन बढ़ाने के लिए''': भूजल बांध के निर्माण के जरिए मात्रा में इजाफा किया जाना चाहिए. कुंओं को गहरा बनाएं और पाइप भी गहरे धंसाएं. जल स्तर के हिसाब से समय-समय पर कुंओं का पानी निकालना. कुंए के बाद वाले आधे हिस्से का निर्माण सूखे मौसम में करें. नदी तल के वे हिस्से जो साल के एक हिस्से में सूखे रहते हैं और पानी एक खास हिस्से में एकत्रित रहता है. वहां रिसाव वाले कांक्रीट का इस्तेमाल करके पानी का बहाव बढ़ाया जाता है. इसके अलावा जल स्रोत में इस्पात की पाइपों के जरिए भी पानी पहुंचाया जा सकता है. इसे नदी के उस हिस्से में होना चाहिए जहां रिसाव न हो. पाइप इस तरह लगाया जाना चाहिए ताकि पानी का बहाव तेज रह सके जबकि गंदगी का जमाव न्यूनतम हो.  
 
'''डब्ल्यूएएसएच-वाश सिस्टम का लचीलापन बढ़ाने के लिए''': भूजल बांध के निर्माण के जरिए मात्रा में इजाफा किया जाना चाहिए. कुंओं को गहरा बनाएं और पाइप भी गहरे धंसाएं. जल स्तर के हिसाब से समय-समय पर कुंओं का पानी निकालना. कुंए के बाद वाले आधे हिस्से का निर्माण सूखे मौसम में करें. नदी तल के वे हिस्से जो साल के एक हिस्से में सूखे रहते हैं और पानी एक खास हिस्से में एकत्रित रहता है. वहां रिसाव वाले कांक्रीट का इस्तेमाल करके पानी का बहाव बढ़ाया जाता है. इसके अलावा जल स्रोत में इस्पात की पाइपों के जरिए भी पानी पहुंचाया जा सकता है. इसे नदी के उस हिस्से में होना चाहिए जहां रिसाव न हो. पाइप इस तरह लगाया जाना चाहिए ताकि पानी का बहाव तेज रह सके जबकि गंदगी का जमाव न्यूनतम हो.  
 
  
 
सूखे के प्रबंधन पर अधिक जानकारी: [[सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लचीला वॉश सिस्टम का प्रयोग]].
 
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Revision as of 13:38, 5 December 2015

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Infiltration wells.png
Infiltration well in Madagascar. Eric Fewster, BushProof.

जल रिसन-इन्फिल्ट्रेशन कुंए दरअसल उथले कुंए होते हैं जो पानी को किसी नदी तल से इतर प्राकृतिक रूप से संधारित करते हैं. लेकिन इनका एक निश्चित स्वरूप होता है. इनका इस्तेमाल किसी जल भराव क्षेत्र से पानी को आकृष्ट करने के लिए किया जा सकता है या फिर भूजल को रिचार्ज करने के लिए. खासतौर पर उन इलाकों में जहां हल स्रोतों के रिचार्ज की दर पथरीली सतह या जमीन की पारगमयता कम होने के कारण उचित नहीं होती. अगर सतह ऐसी हुई तो यह कुआं इससे कहीं नीचे के स्तर पर जाकर गहरा किया जाता है. इन कुओं से पानी निकालना तो द्वितीयक गतिविधि है. क्योंकि न केवल इसका स्तर बहुत कम होता है बल्कि इससे बहुत सीमित जल निकाला जा सकता है.

ऐसे कुओं में सीधा जल प्रवाह नहीं होता (हालांकि ऐसा हो सकता है) इस वजह से ये आमतौर पर एक बड़े आकार के गड्डे के रूप में रहते हैं जिनको प्राकृतिक दरदरी चीजों से भरा जाता है ताकि जमीन की जल रिसाव क्षमता बढ़ सके और अधिकांश मामलों में जमीन की सतह और भूमिगत पाइपिंग का एक घेरा सा भी बनाया जाता है.यह घेरेदार व्यवस्था पानी को अपने भीतर आने देती है जहां पानी अपेक्षाकृत तेज गति से प्रवाहित होता है. यह तेज बारिश के बाद होने वाले बहाव को एक तरह का सुरक्षा घेरा मुहैया कराता है. इस व्यवस्था के होने पर अगर पानी बहुत तेज गति से बरसा तो भी उसे बेकार बह जाने देने के बजाय कुंए अथवा जल स्रोत में आकृष्ट किया जा सकता है या उसका रिसाव सुनिश्चित किया जा सकता है.

छानने वाले पदार्थ के रूप में चट्टानों, लकड़ी के टुकड़ों या फिर तिनकों आदि का प्रयोग किया जा सकता है. लकड़ी का इस्तेमाल करके बनाए गए कुंए पारगमन वाली मेढ़ों की तरह होते हैं और उनमें घेरेदार नाली नहीं बनाई जाती है. इससे उनकी रिसाव क्षमता जरूर सीमित हो सकती है. इनमें से पानी को निकालने के लिए हैंडपंप Handpumps या छोटे आकार के मोटर पंप Small and efficient motor pumps का इस्तेमाल किया जा सकता है. हैंडपंप सिलिंडरों की बात करें तो उनको इन कुओं में लगाई गई जाली के भीतर फिट करना होता है.

किन तरह की परिस्थतियों में यह तकनीक काम में आती है

  • ऐसी जगह जहां भूजल स्तर पांच मीटर से अधिक नीचे न हो और जहां मिट्टी की प्रकृति स्थिर हो.
  • छोटे समुदायों के लिए और ऐसी जगह पर जहां पानी की मांग कम हो.
  • ऐसी जगहों पर इसे स्थापित न करें जहां पानी तेज गति से बहता है. क्योंकि संधारण कुओं की रिसाव क्षमता काफी कम होती है.बहाव की गति अपर्याप्त होगी तो संभावित कटाव की क्षमता से इनकार नहीं किया जा सकेगा.

प्रदूषण से बचाव करें

इन कुओं को प्रदूषण का स्रोत बनने वाले स्थानों से खासा दूर निर्मित करना चाहिए. सूक्ष्म जैविक संक्रमण को रोकने के लिए प्रदूषण के संभावित स्रोतों और इन जालीदार कुंओं के बीच कम से कम इतनी दूरी रहनी चाहिए कि मैदान पर रेंगने वाले जीवों को यह दूरी तय करने में कम से कम 25 दिन का वक्त लगे. उनका यह दूरी करना जमीनी की सांद्रता, जलीय स्थिति, पारगमनता आदि सभी बातों पर निर्भर करता है.

मध्यम आकार की बालू जिसमें औसत रिसाव क्षमता हो, वहां 30 मीटर की दूरी को 25 दिन में तय होने लायक माना जा सकता है. लेकिन जमीन की प्रकृति के आधार पर इसे 100 मीटर तक माना जा सकता है. बहरहाल, पानी से संक्रमण की दूरी उन जगहों पर तेजी से कम हो सकती है जहां जालीदार जल स्रोत काफी गहराई पर स्थित हो. ऐसा जल स्रोत की प्रकृति में तमाम तरह के अंतर की बदौलत होता है.मिसाल के तौर पर हैंडपंप वाले गहरे बोर वेल को लैट्रिन के करीब भी बनाया जा सकता है. लेकिन निकासी की दर के साथ ही छन्ने की गहराई भी बढ़ाई जानी चाहिए.


लाभ नुकसान
- पूर्ण किनारी वाला कुंआ बनाने की तुलना में कम लागत.

- पूर्ण कुंए की तुलना में अपेक्षाकृत तेज गति से निर्माण.
- कम पानी वाले जल स्रोतों के लिए बेहतर.
- चूंकि यह बहुत उन्नत तकनीक नहीं है इसलिए गांव वाले आसानी से भागीदारी कर सकते हैं. इसको बहुत अधिक निगरानी की आवश्यकता भी नहीं होती.

- निकालने के लिए बहुत अधिक पानी का उपलब्ध न होना.

- रखरखाव के समय या किसी समस्या के पहले कुंए में पहुंच आसान नहीं. - खुदाई के साथ किनारी बनाना आसान नहीं. ऐसे में अगर मिट्टी में स्थिरता नहीं हुई तो सुरक्षा को लेकर खतरा.

पर्यावरण संबंधी बदलावों को लेकर लचीलापन

सूखा

सूखे के प्रभाव: कम बारिश के कारण जल स्रोत में कम रिसाव होता है, जबकि आबादी और पानी की मांग में लगातर इजाफा हो रहा है. जल स्रोतों का आकार- बालू की मात्रा, जलस्तर में बहुत अधिक गहराई का न होना, गलत जगह का चुनाव पाइप के इर्द गिर्द सही ढंग से ग्रेडिंग का न किया जाना.

इसकी वजह: : Less recharge of aquifer due to less rainfall; Increasing population & water demand; Size of aquifers – e.g. limited sand volume; Wells not sunk deep enough into water table; Incorrect siting; Graded gravel around pipe not correctly done.

डब्ल्यूएएसएच-वाश सिस्टम का लचीलापन बढ़ाने के लिए: भूजल बांध के निर्माण के जरिए मात्रा में इजाफा किया जाना चाहिए. कुंओं को गहरा बनाएं और पाइप भी गहरे धंसाएं. जल स्तर के हिसाब से समय-समय पर कुंओं का पानी निकालना. कुंए के बाद वाले आधे हिस्से का निर्माण सूखे मौसम में करें. नदी तल के वे हिस्से जो साल के एक हिस्से में सूखे रहते हैं और पानी एक खास हिस्से में एकत्रित रहता है. वहां रिसाव वाले कांक्रीट का इस्तेमाल करके पानी का बहाव बढ़ाया जाता है. इसके अलावा जल स्रोत में इस्पात की पाइपों के जरिए भी पानी पहुंचाया जा सकता है. इसे नदी के उस हिस्से में होना चाहिए जहां रिसाव न हो. पाइप इस तरह लगाया जाना चाहिए ताकि पानी का बहाव तेज रह सके जबकि गंदगी का जमाव न्यूनतम हो.

सूखे के प्रबंधन पर अधिक जानकारी: सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लचीला वॉश सिस्टम का प्रयोग.

Construction, operations and maintenance

General advice on cement: A common cause of cracks in structures and linings (e.g. in tanks, dams, waterways, wells) is errors in mixing and applying the cement. First of all, it is important that only pure ingredients are used: clean water, clean sand, clean rocks. The materials have to be mixed very thoroughly. Secondly, the amount of water during mixing needs to minimal: the concrete or cement needs to be just workable, on the dry side even, and not fluid. Thirdly, it is essential that during curing the cement or concrete is kept moist at all times, for at least a week. Structures should be covered with plastic, large leaves or other materials during the curing period, and kept wet regularly.

Construction

Infiltration well filled with straw.
Source : Georges Lamarre (MAPAQ)
  • Construction involves digging a hole to the water table in stable soil that has no risk of collapsing. Digging should not go deeper than 5 metres for safety reasons.
  • Digging continues inside the water table but due to the low yield of the aquifer, digging can proceed only without buckets for de-watering purposes.
  • An intake needs to be created which will be installed in the well before backfilling. The intake can normally be a screen that is connected to casing – this should be large enough in diameter to fit the handpump cylinder. The intake can be installed in several ways:
  1. A chamber can be constructed within the water table zone from suitable material (e.g. blocks) and covered with a slab – the intake pipe is placed through the slab, after which the hole can be backfilled to ground level, adding more sections to the intake section as required.
  2. A cheaper way is to install the intake in the empty hole. Verticality is ensured using a spirit level, after which the intake is secured temporarily to beams at ground level. The hole is then backfilled with clay-free sand to the height of the wet season water table level, after which the hole is backfilled with original soil. In this way, an artificial aquifer is created around the intake and well volume is equivalent to the porosity of the sand.
  3. A pump can then be installed within the intake screen.
  • Where wells dry up in the dry season, recharge techniques could be used upstream of the well.

Rock or wood chip infiltration wells

Infiltration well filled with rock or wood chips - soil not tilled. For more options like this see [Infiltration wells Factsheet].

A hole measuring 1 to 1.5 m in diameter and approximately 1 m deep is excavated at the location selected for the infiltration well. If the well is constructed with rock in sandy or loamy soil, the bottom and sides of the excavation can be covered with a geotextile membrane (of the Texel 7609 or 7612 type). This membrane will prevent lateral clogging by the rock and is attached to the drain with drainage adhesive tape where the drain crosses it. The membrane is cut 30 cm below the surface of the soil if the soil is to be tilled above the well once installation is complete. Otherwise, the membrane can extend up to the soil surface. Note that no geotextile membrane is used in wood-chip wells.

The excavation is progressively backfilled with the desired material. The drain is coiled in the porous material as it is placed in the hole. In wells made of rock, it is recommended that backfilling begin with clean 56-mm rock, although finer stone (such as 19-mm stone) can also be used.

The drain is cut at the desired height, and a cap is placed at the end. If the soil is to be tilled above the wells after the work is complete, the coiled piping must stop at least 30 cm below the ground surface so that the piping is not damaged by tilling equipment. The backfilling of the rock well is completed with materials that will not damage the tilling equipment (coarse soil if available, coarse sand, wood chips or clean 19-mm stone). Laying a geotextile membrane between these two zones is not recommended, because it would quickly be clogged by the silt contained in the surface runoff. Wood-chip wells are generally fully backfilled with wood chips.

Where the erosion rate is high and the risk of clogging is significant, it is preferable that the soil above the infiltration well not be tilled. A minimum radius of 3 m around the well is therefore grassed over to filter the soil particles and create a buffer zone between the tilled soil and the infiltration well. The well can also be covered with rock (e.g. clean 100- mm rock) to finalize the installation.

Permeability of some types of rock (meters/day)

Type of rock Permeability

(m/d)

gravel 100 - 1000
mixed sand and gravel 50 - 100
coarse sand 20 - 100
fine sand 1 - 5
fractured or weathered rock 0 - 30
sandstone 0.1 - 1.0
clay 0.01 - 0.05
shale negligible
limestone negligible
solid rock negligible

Maintenance

Generally, it is recommended that minimum tillage practices be adopted to maximize the lifespan of the well. If a well gets clogged, the first 30 cm of the porous material is replaced to improve the infiltration capacity.

Organic filtering materials decompose gradually over time. Because of better oxygenation conditions near the ground surface, decomposition is faster in the upper part of the well. In wood-chip wells, it is generally necessary to add more wood chips every 10 years to compensate for subsidence caused by the decomposition of the material in place. Given its lower carbon/nitrogen ratio and high cellulose content, straw decomposes much faster and must be replaced more frequently. Coarse sand can also be used to replace decomposed material in both cases. Lastly, infiltration wells and separate drain outlets must be inspected frequently to evaluate the condition of the structures as well as their efficiency in improving surface drainage and reducing erosion problems.

Manuals, videos and links

Acknowledgements