Difference between revisions of "वाटर पोर्टल / वर्षाजल संचयन / यथास्थान वर्षाजल संचयन"

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{{Language-box|english_link=Water Portal / Rainwater Harvesting / In situ rainwater harvesting | french_link=La collecte des eaux de pluie in situ | spanish_link=Coming soon | hindi_link=वाटर पोर्टल/ वर्षाजल संचयन/ यथास्थान वर्षाजल संचयन | malayalam_link=Coming soon|tamil_link=Coming soon | korean_link=Coming soon | chinese_link=原地集雨 | indonesian_link=Coming soon | japanese_link=In situ雨水貯留}}
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{{Language-box|english_link=Water Portal / Rainwater Harvesting / In situ rainwater harvesting | french_link=La collecte des eaux de pluie in situ | spanish_link=Captación de agua de lluvia in situ | hindi_link=वाटर पोर्टल / वर्षाजल संचयन / यथास्थान वर्षाजल संचयन | malayalam_link=Coming soon|tamil_link=Coming soon | korean_link=Coming soon | chinese_link=原地集雨 | indonesian_link=Coming soon | japanese_link=In situ雨水貯留}}
  
[[Image:In situ - rainwater harvesting.jpg|thumb|right|200px|जोधपुर, राजस्थान में वर्षाजल संचयन कार्यस्थल. फोटो: [http://www.retailforsure.com/www/photogallery.php ग्रीनफील्ड इको सॉल्यूशन प्रा. लि.]]]
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[[Image:In situ - rainwater harvesting.jpg|thumb|right|200px|जोधपुर, राजस्थान में वर्षाजल संचयन कार्यस्थल. फोटो: [http://www.greenfieldeco.com/ ग्रीनफील्ड इको सॉल्यूशन प्रा. लि.]]]
 
शुष्क और अर्ध-शुष्क इलाकों में जहां बारिश बहुत कम होती है, बारिश के मौसम में अधिक से अधिक वर्षाजल संचित करके रखना पड़ता है ताकि बाद में इसका इस्तेमाल किया जा सके, खास तौर पर खेती और घरेलू इस्तेमाल के लिए. वर्षाजल संचयन का एक उपाय जो सबसे अधिक इस्तेमाल में लाया जाता है वह है कार्यस्थल पर यानी जहाँ जरूरत हो वहीं वर्षाजल का भंडारण ('''यथास्थान वर्षाजल संचयन'''). अपेक्षाकृत गहराई वाले इलाके वर्षाजल के संचयन के लिए आदर्श होते हैं. यह तरीका ब्राजील, आर्जेंटीना और पराग्वे के शुष्क और अर्ध-शुष्क इलाकों में मुख्यतः सिंचाई के मकसद से इस्तेमाल में लाये जाते हैं. कार्यस्थल वाली तकनीक में पानी वहीं जमा किया जाता है, जहां उसका इस्तेमाल होना है.
 
शुष्क और अर्ध-शुष्क इलाकों में जहां बारिश बहुत कम होती है, बारिश के मौसम में अधिक से अधिक वर्षाजल संचित करके रखना पड़ता है ताकि बाद में इसका इस्तेमाल किया जा सके, खास तौर पर खेती और घरेलू इस्तेमाल के लिए. वर्षाजल संचयन का एक उपाय जो सबसे अधिक इस्तेमाल में लाया जाता है वह है कार्यस्थल पर यानी जहाँ जरूरत हो वहीं वर्षाजल का भंडारण ('''यथास्थान वर्षाजल संचयन'''). अपेक्षाकृत गहराई वाले इलाके वर्षाजल के संचयन के लिए आदर्श होते हैं. यह तरीका ब्राजील, आर्जेंटीना और पराग्वे के शुष्क और अर्ध-शुष्क इलाकों में मुख्यतः सिंचाई के मकसद से इस्तेमाल में लाये जाते हैं. कार्यस्थल वाली तकनीक में पानी वहीं जमा किया जाता है, जहां उसका इस्तेमाल होना है.
  
 
सामान्यतः यह तकनीक सरल और इस्तेमाल में आसान होती है. अमूमन सरकारी संस्थान और खेतिहर समुदाय मिल कर कार्यस्थल पर वर्षाजल संचयन की तकनीक को बढ़ावा देते हैं. उपयोगकर्ताओं को इस तकनीक के लाभ और वर्षाजल संचयन को लागू करते हुए मृदा की क्षति से बचाव के उपाय के बारे में सूचित करने के लिए शैक्षणित और सूचनापरक कार्यक्रम उपलब्ध कराये जाने चाहिये.  
 
सामान्यतः यह तकनीक सरल और इस्तेमाल में आसान होती है. अमूमन सरकारी संस्थान और खेतिहर समुदाय मिल कर कार्यस्थल पर वर्षाजल संचयन की तकनीक को बढ़ावा देते हैं. उपयोगकर्ताओं को इस तकनीक के लाभ और वर्षाजल संचयन को लागू करते हुए मृदा की क्षति से बचाव के उपाय के बारे में सूचित करने के लिए शैक्षणित और सूचनापरक कार्यक्रम उपलब्ध कराये जाने चाहिये.  
  
===Suitable conditions===
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===उपयुक्त परिस्थितियां===
This technology increases water supply for irrigation purposes in arid and semi-arid regions. It promotes improved management practices in the cultivation of corn, cotton, sorghum, and many other crops. It also provides additional water supply for livestock watering and domestic consumption.
+
इस तकनीक से शुष्क और अर्धशुष्क इलाकों में सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बढ़ जाती है. यह मक्के, कपास, ज्वार और कई अन्य फसलों को उगाने के लिए विकसित प्रबंधकीय उपायों को बढ़ावा देता है. इसके जरिये हमें पालतू जानवरों और घरेलू इस्तेमाल के लिए भी अतिरिक्त जल उपलब्ध हो जाता है.  
  
In situ is applicable to low topographic areas in arid or semi-arid climates.
+
यह शुष्क और अर्धशुष्क इलाकों की निचली सतह में लागू किया जा सकता है.
  
Extensive use is found in northeastern Brazil, in the Chaco region of Paraguay, and in Argentina. It can be used to augment the water supply for crops, livestock, and domestic use. With the mechanization of agriculture, its use has diminished, but it is still recommended for regions where the volume of rainfall is small and variable. The approach used depends primarily on the availability of equipment, the nature of the agricultural and livestock practices, and the type of soil.
+
पूर्वोत्तर ब्राजील, पराग्वे के चाको और आर्जेंटीना के इलाकों में इस तकनीक का अत्यधिक इस्तेमाल होता है. यह फसल, पालतू पशुओं और घरेलु इस्तेमाल के लिए जलापूर्ति को बढ़ावा देता है. खेती में मशीनों का इस्तेमाल बढ़ने की वजह से इसका उपयोग बहुत कम होने लगा है, लेकिन उन इलाकों में जहां बारिश बहुत कम होती है यह अभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका प्राथमिक तौर पर उपकरणों की उपलब्धता, खेती और पशुपालन की पद्धतियां और मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करता है.
  
'''Cultural Acceptability'''<br>
+
'''सांस्कृतिक स्वीकार्यता'''<br>
 
 
In situ rainfall harvesting has been practiced for many years by the agricultural communities of northeastern Brazil, Paraguay, and Argentina. Agricultural communities in other arid and semi-arid regions can readily improve their level of irrigation and increase their production yield using this technique.
 
  
 +
वर्षाजल संचयन की यह पद्धति पूर्वोत्तर ब्राजील, पराग्वे और आर्जेंटीना के इलाकों में बरसों से इस्तेमाल की जाती रही है. दूसरे इलाकों के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्र इस पद्धति को अपना कर आसानी से इस तकनीक को अपना कर अपनी खेती का विकास कर सकते हैं और उत्पादकता बढ़ा सकते हैं.
  
 
{| border="1" cellpadding="5" cellspacing="0" align="none"
 
{| border="1" cellpadding="5" cellspacing="0" align="none"
 
|-
 
|-
! width="50%" style="background:#efefef;" | Advantages
+
! width="50%" style="background:#efefef;" | लाभ
! style="background:#f0f8ff;" | Disadvantages
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! style="background:#f0f8ff;" | हानि
 
|-
 
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| valign="top" | - This technology requires minimal additional labor.<br>
+
| valign="top" | - इस तकनीक में अतिरिक्त श्रम की बहुत कम आवश्यकता होती है.<br>
- It offers flexibility of implementation; furrows can be constructed before or after planting.<br>
+
- इसे कभी भी लागू किया जा सकता है, रोपणी के पहले भी और बाद में भी.<br>
- Rainwater harvesting allows better utilization of rainwater for irrigation purposes, particularly in the case of inclined raised beds.<br>
+
- वर्षाजल संचयन के जरिये सिंचाई के लिए वर्षाजल का बेहतरीन इस्तेमाल होता है, खास तौर पर ढलान वाले खेतों में.<br>
- Rainwater harvesting is compatible with agricultural best management practices, including crop rotation.<br>
+
- वर्षाजल संचयन की खेती की बेहतरीन प्रबंधन पद्धतियों से तुलना की जा सकती है, जैसे फसल चक्र परिवर्तन.<br>
- It provides additional flexibility in soil utilization.<br>
+
- यह मृदा उपयोग के मामले में अतिरिक्त लचीलापन उपलब्ध कराता है.<br>
- Permeable in situ rainwater harvesting areas can be used as a method of artificially recharging groundwater aquifers.<br>
+
- इस पद्धति के जरिये कृत्रिम तौर पर भूजल एक्विफायर का भी पुनर्भरण किया जा सकता है.<br>
| valign="top" | - In situ rainwater harvesting cannot be implemented where the slope of the land is greater than 5%.<br>
+
| valign="top" | - इस वर्षाजल पद्धति की वहां लागू नहीं किया जा सकता जहां ढलान 5 फीसदी से अधिक हो. <br>
- It is difficult to implement in rocky soils.<br>
+
- पथरीली मिट्टी में इसे लागू करना मुश्किल होता है. <br>
- Areas covered with stones and/or trees need to be cleared before implementation.<br>
+
- पत्थर और पेड़ों से ढके इलाकों में इसे लागू करने से पहले उसे साफ करना पड़ता है. <br>
- The additional costs incurred in implementing this technology could be a factor for some farmers.<br>
+
- इस तकनीक को लागू करने में जो अतिरिक्त व्यय होता है वह कुछ किसानों के लिए महत्वपूर्ण मसला होता है. <br>
- It requires impermeable soils and low topographic relief in order to be effective.<br>
+
- इसे प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए शुष्क जमीन और गहराई वाले इलाकों की जरूरत होती है. <br>
- The effectiveness of the storage area can be limited by evaporation that tends to occur between rains.<br>
+
- बारिश के नहीं होने पर जमा पानी वाष्पीकृत हो जाता है, जिससे इसकी प्रभावोत्पादकता कम हो जाती है. <br>
 
|}
 
|}
 
<br>
 
<br>
  
===Design & construction===
+
===संरचना और निर्माण===
All rainfall harvesting systems have three components: a collection area, a conveyance system, and a storage area. In this application, collection and storage is provided within the landscape. Topographic depressions represent ideal collection and storage areas. In many situations, such areas are impermeable, being underlain by clay soils that minimize infiltration. Methods of rainwater harvesting in situ, including site preparation of agricultural areas in Brazil, are described below.
+
हर वर्षाजल संचयन तंत्र के तीन पहलू होते हैं : एक संग्रहण क्षेत्र, एक परिवहतन तंत्र और एक भंडारण क्षेत्र. इस व्यवस्था में संग्रहण और भंडारण उसी भूसंरचना में उपलब्ध कराया जाता है. गहराई वाली भूसंरचना संग्रहण और भंडारण के लिए आदर्श क्षेत्र मानी जाती है. कई परिस्थितियों में ऐसे इलाकों में रिसाव नहीं होता है, ये चिकनी मिट्टी से ढकी होती हैं, ताकि कम से कम पानी बाहर रिसे. ब्राजील में कार्यस्थल पर वर्षाजल संचयन की प्रक्रिया, जिनमें कृषि क्षेत्र में कार्यस्थल तैयारी शामिल है, का जिक्र नीचे है.
 
 
====Use of Topographic Depressions as Rainfall Harvesting Areas====
 
In Paraguay, areas of low topography used for rainwater storage are known as tajamares. Tajamares are constructed in areas with clay soils at least 3 m deep. The tajamares are served by distribution canals that convey water from the storage area to the areas of use. The collection and storage areas need to be fenced to avoid contamination by animals. This technology is usually combined with storage tanks built of clay. The water is delivered from the in situ rainfall collection area to the storage tank by means of a pump, usually driven by a windmill, as shown in Figure 1.
 
  
[[Image:in situ diagram.jpg|thumb|none|500px|'''Figure 1.''' Low Topography Rainfall Harvesting Areas (Tajamar). Source: Eugenio Godoy V., National Commission on Integrated Regional Development of the Paraguayan Chaco, Filadelfia, Paraguay.]]
+
====गहराई वाली भूसंरचना का वर्षाजल संचयन क्षेत्र के रूप में उपयोग====
 +
पराग्वे में गहराई वाली भूसंरचना जिसका उपयोग वर्षाजल संचयन के तौर पर होता है को ताजामेयर्स कहते हैं. ताजामेयर्स उन इलाकों में बनाये जाते हैं जहां चिकनी मिट्टी कम से कम तीन मीटर गहरी हो. ताजामेयर्स से भंडारण क्षेत्र में और फिर वहां से खेतों में नहर वितरणी के जरिये पानी पहुंचाया जाता है. संग्रहण और भंडारण क्षेत्र की घेराबंदी की जाती है ताकि पशु पानी को दूषित न कर दें. यह तकनीक अमूमन चिकनी मिट्टी से बने भंडारण टैंक से जुड़ी होती है. इसमें कार्यस्थल पर वर्षाजल संचयन क्षेत्र से पानी पंप के जरिये भंडारण टैंक तक पहुंचाया जाता है, यह अमूमन विंडमिल के जरिये संचालित होता है, जैसा चित्र 1 में बताया गया है.  
  
Water stored in tajamares is normally used for livestock watering and may be used for domestic consumption after filtration and/or chlorination. Individual tajamares have also been used as a means of artificially recharging groundwater aquifers. Tajamares built in the Paraguayan Chaco have produced up to 6 800 m3/yr for aquifer recharge.
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[[Image:in situ diagram.jpg|thumb|none|500px|'''चित्र 1.''' गहरे इलाके में वर्षाजल संचयन (ताजामेयर). स्रोत : यूजीनियो गोदोय वी., नेशनल कमीशन ऑन इंटीग्रेटेड रीजनल डेवलपमेंट ऑफ द पराग्वेयन चाओ, फिलाडेल्फिया, पराग्वे. ]]
  
====Use of Furrows as Rainwater Storage Areas====
+
ताजामेयर्स में जमा पानी का इस्तेमाल सामान्यतः पशुओं को पानी पिलाने के लिए किया जाता है और सफाई और क्लोरीन डालने के बाद इन्हें घरेलू उपभोग के लिए भी प्रयोग में लाया जा सकता है. व्यक्तिगत ताजामेयर्स भी अक्सर भूजल स्रोतों के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए इस्तेमाल में लाये जाते हैं. पराग्वे चाको में बने ताजामेयर्स हर साल 6800 घन मीटर भूजल पुनर्भरण करते हैं.  
[[Image:Rainwater Furrow.jpg|thumb|right|250px|Half-moon furrows around newly planted Acacia seedlings catch and retain rainwater. Photo: [http://www.fao.org/docrep/009/a0100e/a0100e07.htm FAO] - T.F. SHAXSON]]
 
  
Furrows may be used as an in situ means of storing harvested rainwater. They are built prior to or after planting to store water for future use by the plants. A variation on the use of topographic depressions to store rainfall, this method uses flattened trenches between the rows of crops to store water. Furrows may have mud dams or barriers every 2 m to 3 m along the row in order to retain water for longer periods of time and avoid excessive surface runoff and erosion. Raised beds may also be used to trap the water in the furrows, or uncultivated areas may be left between rows, spaced at 1 m apart, to assist in capturing rainwater falling on the land surface between furrows.
+
====वर्षाजल भंडारण क्षेत्र के रूप में नालियों का इस्तेमाल====
 +
[[Image:Rainwater Furrow.jpg|thumb|right|250px|बबूल के नये पौधों के चारो ओर बनी अर्धचंद्राकार नालियां वर्षाजल को ग्रहण और भंडारण करती हुईं. फोटो- [http://www.fao.org/docrep/009/a0100e/a0100e07.htm एफएओ] - एफएओ- टीएफ शाक्सोन ]]
  
====The Guimarães Duque====
+
नालियां कार्यक्षेत्र में कृषि कार्य के लिए वर्षाजल का संचय करने हेतु प्रयोग में लायी जा सकती हैं. ये पौधों को लगाये जाने से पहले भी और उसके बाद भी बनायी जा सकती हैं, ताकि इनके पानी का इस्तेमाल भविष्य में किया जा सके.
The Guimarães Duque method was developed in Brazil during the 1950s, and uses furrows and raised planting beds, on which cross cuts to retain water are made using a reversible disk plow with at least three disks. The furrows are usually placed at the edge of the cultivation zone.
+
भूसंरचना की गहराइयों में विविधता के मद्देनजर खेतों में ही फसलों की कतारों के बीच पानी संरक्षित करने के लिए यह तरकीब इस्तेमाल की जाती है. इन नालियों में हर दो-तीन मीटर पर कीचड़ के डैम बनाये जा सकते हैं ताकि पानी को लंबे समय तक रोका जा सके और मृदा अपरदन और पानी के धरती में अत्यधिक अवशोषण को रोका जा सके. खेतों की पगडंडियां भी नालियों में पानी को रोकने के लिए मददगार हो सकती हैं, या कतारों के बीच गैर कृषियोग्य जमीन छोड़ी जा सकती है, यह एक मीटर तक हो सकती है ताकि इस जमीन पर गिरने वाले जल को नालियों में लाया जा सके.
  
===Costs, operation & maintenance===
+
====गुइमेयर्स ड्यूक====
This technology requires very little '''maintenance''' once the site is chosen and prepared. Maintenance is done primarily during the course of normal, day-to-day agricultural activities, and consists primarily of keeping the collection area free of debris and unwanted vegetation. Where only parts of the rows are cultivated, rotating the areas that are plowed will enable more efficient maintenance of the available storage area.
+
गुइमेयर्स ड्यूक पद्धति का विकास 1950 में ब्राजील में हुआ है. इसके तहत नालियों का इस्तेमाल किया जाता है और क्यारियों को ऊंचा किया जाता है, इनमें पानी रोकने के लिए एक दूसरे को काटने वाली रेखाएं होती हैं जो उल्टे डिस्क वाले गड्ढे होते हैं और ऐसे कम से कम तीन डिस्क होते हैं. ये नालियां अमूमन खेतिहर जमीन के किनारे में बनायी जाती हैं.
  
The '''costs''' of in situ rainwater collection systems are minimal. The main cost of this technology is in the equipment and labor required to build the fences and furrows. Table 1 shows representative costs reported for different methods of site preparation in cultivated areas of Brazil. Further, the construction cost of a tajamar in Paraguay has been reported at $4,500. This cost includes not only the cost of soil preparation, but also the cost of ancillary equipment such as the storage tank and windmill shown in the set up in Figure 1.
+
===लागत, क्रियान्वयन और रख-रखाव===
 +
इस तकनीक में बहुत कम '''रख-रखाव''' की जरूरत होती है, केवल जगह चुनना और तैयार करना होता है. इसका रख-रखाव खेती की रोजना की गतिविधियों के साथ हो जाता है, बस संग्रहण क्षेत्र को कचरे और अवांछित पौधों से मुक्त रखना पड़ता है. जहां सिर्फ कतार के हिस्से पर खेती की जाती है, जुताई वाले इलाके में गोलाकार घुमाने से भंडारण क्षेत्र का प्रभावी रख-रखाव होता है.
  
 +
कार्यस्थल पर वर्षाजल संचयन की लागत '''न्यूनतम''' होती है. इस तकनीक का मुख्य व्यय उपकरण में और उन श्रमिकों के मेहनताना के रूप में होता है जो नालियां और घेराबंदी का निर्माण करते हैं. टेबल 1 में ब्राजील में कृषि क्षेत्र में विभिन्न तरीकों द्वार इनके निर्माण की प्रतिनिधि लागत का उल्लेख किया गया है. पराग्वे में ताजामेयर का निर्माण व्यय 4500 डालर बताया गया है. इसमें न सिर्फ मिट्टी की तैयारी की लागत शामिल है बल्कि भंडारण टैंक और विंडमिल जैसे उपकरणों का मूल्य भी जुड़ा हुआ है, जो चित्र 1 में दिखाया गया है.
  
'''Table 1. Estimated Cost ($) of Different Site Preparation Methods for Rainwater Collection Areas in Agricultural Areas of Brazil.'''
+
'''टेबल 1. ब्राजील में वर्षाजल संचयन के विभिन्न कार्यस्थल तैयारी पद्धतियों की अनुमानित लागत डालर में.'''
 
{|border="1" cellspacing="0" cellpadding="5"
 
{|border="1" cellspacing="0" cellpadding="5"
 
|-
 
|-
! Method
+
! पद्धति
! Basic Equipment
+
! आधारभूत उपकरण
! Animal Traction
+
! पशु का किराया
! Total
+
! कुल
! Hourly Cost of Implementation
+
! क्रियान्वयन लागत प्रति घंटा
 
|-
 
|-
|Flat terrain trenches
+
|समतल घाटी नालियां
 
|150.00
 
|150.00
 
|300.00
 
|300.00
Line 77: Line 76:
 
|0.96
 
|0.96
 
|-
 
|-
|Post-planting furrows
+
|रोपणी के बाद बनी नालियां
 
|80.00
 
|80.00
 
|300.00
 
|300.00
Line 83: Line 82:
 
|0.90
 
|0.90
 
|-
 
|-
|Pre-planting furrows
+
|रोपणी से पहले बनी नालियां
 
|180.00
 
|180.00
 
|70.00
 
|70.00
Line 89: Line 88:
 
|0.90
 
|0.90
 
|-
 
|-
|Furrows with barriers
+
|नालियां अवरोध के साथ
 
|180.00
 
|180.00
 
|70.00
 
|70.00
Line 95: Line 94:
 
|0.90
 
|0.90
 
|-
 
|-
|Inclined raised beds
+
|उन्नत बेड
 
|1,500.00
 
|1,500.00
 
|1,000.00
 
|1,000.00
Line 101: Line 100:
 
|12-15
 
|12-15
 
|-
 
|-
|Furrows in partial areas
+
|आंशिक भूमि की नालियां
 
|100.00
 
|100.00
 
|80.00
 
|80.00
Line 107: Line 106:
 
|0.70
 
|0.70
 
|-
 
|-
|Guimarães Duque method
+
|गुइमेयर्स ड्यूक पद्धति
 
| ...
 
| ...
 
| ...
 
| ...
Line 115: Line 114:
  
  
'''Further Development of the Technology'''<br>
+
'''तकनीक का आगामी विकास'''<br>
  
The equipment used in the construction of the furrows and storage areas must be improved. Relatively inexpensive plows and tractors can reduce the cost of implementation and contribute to the more widespread use of this technology by small farmers. New methods of soil conservation should be explored.
+
नालियों और भंडारण क्षेत्रों में इस्तेमाल किये जा रहे उपकरणों का विकास किया जाना चाहिये. अपेक्षाकृत सस्ती जुताई और ट्रैक्टर क्रियान्वयन की लागत को घटा सकते हैं और छोटे किसानों द्वारा इसके इस्तेमाल को बढ़ाया जा सकता है. मृदा संरक्षण की नयी पद्धतियों की तलाश जरूरी है.
  
===Manuals, videos, and links===
+
===निर्देशिका, वीडियो और लिंक===
====Contacts====
+
====Contacts - संपर्क====
 
* '''José Barbosa dos Anjos''', Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro de Pesquisa Agropecuaria do Trópico Semi-Árido (CPATSA), BR-428 km 152, Zona Rural, Caixa Postal 23, 56300-000 Petrolina, Pernambuco, Brasil. Tel. (55-81)862-1711. Fax (55-81)862-1744. E-mail: [email protected].
 
* '''José Barbosa dos Anjos''', Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro de Pesquisa Agropecuaria do Trópico Semi-Árido (CPATSA), BR-428 km 152, Zona Rural, Caixa Postal 23, 56300-000 Petrolina, Pernambuco, Brasil. Tel. (55-81)862-1711. Fax (55-81)862-1744. E-mail: [email protected].
 +
* जोस बारबोसा डोस एंजोस, इम्प्रेसिया ब्राजीलियेरा डे पेस्क्यूसा एग्रोपिक्यूआरिया (एम्ब्रापा), सेंट्रो डे पेस्क्यूएसा एग्रोपिक्यूआरिया डो ट्रोपिको सेमि-एरिडो (क्पाट्सा), बीआर-428 केएम 152, जोनल रूरल, काएक्सा पोस्टल 23, 56300-000 पेट्रोलिना, परनाम्बुको, ब्रासिल. टेल. (55-81)862-1711. फैक्स (55-81)862-1744. ई-मेल: [email protected].
  
 
* '''Everaldo Rocha Porto''', Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro de Pesquisa Agropecuaria do Trópico Semi-Árido (CPATSA), BR-428 km 152, Zona Rural, Caixa Postal 23, 56300-000 Petrolina, Pernambuco, Brasil. Tel. (55-81)862-1711. Fax (55-81)862-1744. E-mail: [email protected].
 
* '''Everaldo Rocha Porto''', Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro de Pesquisa Agropecuaria do Trópico Semi-Árido (CPATSA), BR-428 km 152, Zona Rural, Caixa Postal 23, 56300-000 Petrolina, Pernambuco, Brasil. Tel. (55-81)862-1711. Fax (55-81)862-1744. E-mail: [email protected].
 +
* एवराल्डो रोचा पोर्टो,  इम्प्रेसिया ब्राजीलियेरा डे पेस्क्यूसा एग्रोपिक्यूआरिया (एम्ब्रापा), सेंट्रो डे पेस्क्यूएसा एग्रोपिक्यूआरिया डो ट्रोपिको सेमि-एरिडो (क्पाट्सा), बीआर-428 केएम 152, जोनल रूरल, काएक्सा पोस्टल 23, 56300-000 पेट्रोलिना, परनाम्बुको, ब्रासिल. टेल. (55-81)862-1711. फैक्स (55-81)862-1744. ई-मेल : [email protected].
  
 
* '''Luiza Teixeira de Lima Brito''', Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro de Pesquisa Agropecuaria do Trópico Semi-Árido (CPATSA), BR-428 km 152, Zona Rural, Caixa Postal 23, 56300-000 Petrolina, Pernambuco, Brasil. Tel. (55-81)862-1711. Fax (55-81)862-1744. E-mail: [email protected].
 
* '''Luiza Teixeira de Lima Brito''', Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro de Pesquisa Agropecuaria do Trópico Semi-Árido (CPATSA), BR-428 km 152, Zona Rural, Caixa Postal 23, 56300-000 Petrolina, Pernambuco, Brasil. Tel. (55-81)862-1711. Fax (55-81)862-1744. E-mail: [email protected].
 +
* लुइजा तेइक्सेरा डे लीमा ब्रिटो, इम्प्रेसिया ब्राजीलियेरा डे पेस्क्यूसा एग्रोपिक्यूआरिया (एम्ब्रापा), सेंट्रो डे पेस्क्यूएसा एग्रोपिक्यूआरिया डो ट्रोपिको सेमि-एरिडो (क्पाट्सा), बीआर-428 केएम 152, जोनल रूरल, काएक्सा पोस्टल 23, 56300-000 पेट्रोलिना, परनाम्बुको, ब्रासिल. टेल. (55-81)862-1711. फैक्स (55-81)862-1744. ई-मेल : [email protected].
  
 
* '''Eduardo Torres''', Instituto Argentino de Investigaciones de las Zonas Aridas (IADIZA), Dependiente del Consejo Nacional de Ciencia y Tecnologia (CONICET), Universidad Nacional de Cuyo y Gobierno de la Provincia de Mendoza, Casilla de Correo 507, 5500 Mendoza, República Argentina. Fax (54-61)287955.
 
* '''Eduardo Torres''', Instituto Argentino de Investigaciones de las Zonas Aridas (IADIZA), Dependiente del Consejo Nacional de Ciencia y Tecnologia (CONICET), Universidad Nacional de Cuyo y Gobierno de la Provincia de Mendoza, Casilla de Correo 507, 5500 Mendoza, República Argentina. Fax (54-61)287955.
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* इडुरेंडो टोरेस, इंस्टीटुटो अर्जेंटीनो डे इनवेस्टिगेसियोनस डे लास जोनस अरिडास (इआडिजा), डिपेंडिएंटे डेल कोनसेजो नासिओनल डे सिएनसिया वाई टेक्नोलोजिआ (कोनिकेट), यूनिवर्सिडाड नोसिओनल डे क्यूओ वाई गोबिएर्नो डे ला प्रोविंसिआ डे मेंडोजा, कासिल्ला डे कोर्रिओ 507, 5500 मेंडोजा, रिपब्लिका अर्जेंटीना. फैक्स (54-61)287955.
  
 
* '''Maria Sonia Lopes da Silva''', Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro de Pesquisa Agropecuaria do Trópico Semi-Árido (CPATSA), BR-428 km 152, Zona Rural, Caixa Postal 23, 56300-000 Petrolina, Pernambuco, Brasil. Tel. (55-81)862-1711. Fax (55-81)862-1744. E-mail: [email protected].
 
* '''Maria Sonia Lopes da Silva''', Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro de Pesquisa Agropecuaria do Trópico Semi-Árido (CPATSA), BR-428 km 152, Zona Rural, Caixa Postal 23, 56300-000 Petrolina, Pernambuco, Brasil. Tel. (55-81)862-1711. Fax (55-81)862-1744. E-mail: [email protected].
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* मारिआ सोनिया लोपेस डा सिल्वा, इम्प्रेसिया ब्राजीलियेरा डे पेस्क्यूसा एग्रोपिक्यूआरिया (एम्ब्रापा), सेंट्रो डे पेस्क्यूएसा एग्रोपिक्यूआरिया डो ट्रोपिको सेमि-एरिडो (क्पाट्सा), बीआर-428 केएम 152, जोनल रूरल, काएक्सा पोस्टल 23, 56300-000 पेट्रोलिना, परनाम्बुको, ब्रासिल. टेल. (55-81)862-1711. फैक्स (55-81)862-1744. ई-मेल : [email protected].
  
 
* '''Aderaldo de Souza Silva''', Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro Nacional de Pesquisa de Monitoramento e Avaliacao de Impacto Ambientalt (NPMA), Rodovia SP-340 km 127.5, Bairro Tanquinho Velho, Caixa Postal 69, 13820-000 Jaguariuna, São Paulo, Brasil. Tel.(55-4198)67-5633. Fax (55-4198)67-5225.
 
* '''Aderaldo de Souza Silva''', Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro Nacional de Pesquisa de Monitoramento e Avaliacao de Impacto Ambientalt (NPMA), Rodovia SP-340 km 127.5, Bairro Tanquinho Velho, Caixa Postal 69, 13820-000 Jaguariuna, São Paulo, Brasil. Tel.(55-4198)67-5633. Fax (55-4198)67-5225.
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* एड्राल्डो डे सूजा सिल्वा, इम्प्रेसिया ब्राजीलियेरा डे पेस्क्यूसा एग्रोपिक्यूआरिया (एम्ब्रापा), सेंट्रो डे पेस्क्यूएसा एग्रोपिक्यूआरिया डो ट्रोपिको सेमि-एरिडो (क्पाट्सा), बीआर-428 केएम 152, जोनल रूरल, काएक्सा पोस्टल 23, 56300-000 पेट्रोलिना, परनाम्बुको, ब्रासिल. टेल. (55-81)862-1711. फैक्स (55-81)862-1744.
  
* Large wiki on water use for agriculture: [http://agropedia.iitk.ac.in/ Agropedia]
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* खेती में जल के उपयोग पर बृहद विकी: [http://agropedia.iitk.ac.in/ एग्रोपीडिया]
  
===Acknowledgements===
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===संदर्भ आभार===
[http://www.oas.org/dsd/publications/Unit/oea59e/begin.htm#Contents Source Book of Alternative Technologies for Freshwater Augmentation in Latin America and the Caribbean]. 1.2 Rainwater harvesting in situ. UNEP - International Environmental Technology Centre United Nations Environment Programme. Unit of Sustainable Development and Environment General Secretariat, Organization of American States, Washington, D.C., 1997.
+
[http://www.oas.org/dsd/publications/Unit/oea59e/begin.htm#Contents सोर्स बुक ऑफ अल्टरनेटिव टेक्नोलॉजीज फॉर फ्रेशवाटर आउगमेंटेशन इन लैटिन अमेरिका एंड द कैरिबियन]. 1.2 रेनवाटर हारवेस्टिंग इन सिटु. यूएनइपी – इंटरनेशनल इंवायरमेंट टेक्नोलॉजी सेंटर युनाइटेड नेशन्स इनवायरमेंट प्रोग्राम. यूनिट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड इन्वायरमेंट जेनरल सेक्रेटारियेट, ऑरगेनाइजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट, वाशिंगटन, डीसी, 1997.

Latest revision as of 01:16, 7 April 2016

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जोधपुर, राजस्थान में वर्षाजल संचयन कार्यस्थल. फोटो: ग्रीनफील्ड इको सॉल्यूशन प्रा. लि.

शुष्क और अर्ध-शुष्क इलाकों में जहां बारिश बहुत कम होती है, बारिश के मौसम में अधिक से अधिक वर्षाजल संचित करके रखना पड़ता है ताकि बाद में इसका इस्तेमाल किया जा सके, खास तौर पर खेती और घरेलू इस्तेमाल के लिए. वर्षाजल संचयन का एक उपाय जो सबसे अधिक इस्तेमाल में लाया जाता है वह है कार्यस्थल पर यानी जहाँ जरूरत हो वहीं वर्षाजल का भंडारण (यथास्थान वर्षाजल संचयन). अपेक्षाकृत गहराई वाले इलाके वर्षाजल के संचयन के लिए आदर्श होते हैं. यह तरीका ब्राजील, आर्जेंटीना और पराग्वे के शुष्क और अर्ध-शुष्क इलाकों में मुख्यतः सिंचाई के मकसद से इस्तेमाल में लाये जाते हैं. कार्यस्थल वाली तकनीक में पानी वहीं जमा किया जाता है, जहां उसका इस्तेमाल होना है.

सामान्यतः यह तकनीक सरल और इस्तेमाल में आसान होती है. अमूमन सरकारी संस्थान और खेतिहर समुदाय मिल कर कार्यस्थल पर वर्षाजल संचयन की तकनीक को बढ़ावा देते हैं. उपयोगकर्ताओं को इस तकनीक के लाभ और वर्षाजल संचयन को लागू करते हुए मृदा की क्षति से बचाव के उपाय के बारे में सूचित करने के लिए शैक्षणित और सूचनापरक कार्यक्रम उपलब्ध कराये जाने चाहिये.

उपयुक्त परिस्थितियां

इस तकनीक से शुष्क और अर्धशुष्क इलाकों में सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बढ़ जाती है. यह मक्के, कपास, ज्वार और कई अन्य फसलों को उगाने के लिए विकसित प्रबंधकीय उपायों को बढ़ावा देता है. इसके जरिये हमें पालतू जानवरों और घरेलू इस्तेमाल के लिए भी अतिरिक्त जल उपलब्ध हो जाता है.

यह शुष्क और अर्धशुष्क इलाकों की निचली सतह में लागू किया जा सकता है.

पूर्वोत्तर ब्राजील, पराग्वे के चाको और आर्जेंटीना के इलाकों में इस तकनीक का अत्यधिक इस्तेमाल होता है. यह फसल, पालतू पशुओं और घरेलु इस्तेमाल के लिए जलापूर्ति को बढ़ावा देता है. खेती में मशीनों का इस्तेमाल बढ़ने की वजह से इसका उपयोग बहुत कम होने लगा है, लेकिन उन इलाकों में जहां बारिश बहुत कम होती है यह अभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका प्राथमिक तौर पर उपकरणों की उपलब्धता, खेती और पशुपालन की पद्धतियां और मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करता है.

सांस्कृतिक स्वीकार्यता

वर्षाजल संचयन की यह पद्धति पूर्वोत्तर ब्राजील, पराग्वे और आर्जेंटीना के इलाकों में बरसों से इस्तेमाल की जाती रही है. दूसरे इलाकों के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्र इस पद्धति को अपना कर आसानी से इस तकनीक को अपना कर अपनी खेती का विकास कर सकते हैं और उत्पादकता बढ़ा सकते हैं.

लाभ हानि
- इस तकनीक में अतिरिक्त श्रम की बहुत कम आवश्यकता होती है.

- इसे कभी भी लागू किया जा सकता है, रोपणी के पहले भी और बाद में भी.
- वर्षाजल संचयन के जरिये सिंचाई के लिए वर्षाजल का बेहतरीन इस्तेमाल होता है, खास तौर पर ढलान वाले खेतों में.
- वर्षाजल संचयन की खेती की बेहतरीन प्रबंधन पद्धतियों से तुलना की जा सकती है, जैसे फसल चक्र परिवर्तन.
- यह मृदा उपयोग के मामले में अतिरिक्त लचीलापन उपलब्ध कराता है.
- इस पद्धति के जरिये कृत्रिम तौर पर भूजल एक्विफायर का भी पुनर्भरण किया जा सकता है.

- इस वर्षाजल पद्धति की वहां लागू नहीं किया जा सकता जहां ढलान 5 फीसदी से अधिक हो.

- पथरीली मिट्टी में इसे लागू करना मुश्किल होता है.
- पत्थर और पेड़ों से ढके इलाकों में इसे लागू करने से पहले उसे साफ करना पड़ता है.
- इस तकनीक को लागू करने में जो अतिरिक्त व्यय होता है वह कुछ किसानों के लिए महत्वपूर्ण मसला होता है.
- इसे प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए शुष्क जमीन और गहराई वाले इलाकों की जरूरत होती है.
- बारिश के नहीं होने पर जमा पानी वाष्पीकृत हो जाता है, जिससे इसकी प्रभावोत्पादकता कम हो जाती है.


संरचना और निर्माण

हर वर्षाजल संचयन तंत्र के तीन पहलू होते हैं : एक संग्रहण क्षेत्र, एक परिवहतन तंत्र और एक भंडारण क्षेत्र. इस व्यवस्था में संग्रहण और भंडारण उसी भूसंरचना में उपलब्ध कराया जाता है. गहराई वाली भूसंरचना संग्रहण और भंडारण के लिए आदर्श क्षेत्र मानी जाती है. कई परिस्थितियों में ऐसे इलाकों में रिसाव नहीं होता है, ये चिकनी मिट्टी से ढकी होती हैं, ताकि कम से कम पानी बाहर रिसे. ब्राजील में कार्यस्थल पर वर्षाजल संचयन की प्रक्रिया, जिनमें कृषि क्षेत्र में कार्यस्थल तैयारी शामिल है, का जिक्र नीचे है.

गहराई वाली भूसंरचना का वर्षाजल संचयन क्षेत्र के रूप में उपयोग

पराग्वे में गहराई वाली भूसंरचना जिसका उपयोग वर्षाजल संचयन के तौर पर होता है को ताजामेयर्स कहते हैं. ताजामेयर्स उन इलाकों में बनाये जाते हैं जहां चिकनी मिट्टी कम से कम तीन मीटर गहरी हो. ताजामेयर्स से भंडारण क्षेत्र में और फिर वहां से खेतों में नहर वितरणी के जरिये पानी पहुंचाया जाता है. संग्रहण और भंडारण क्षेत्र की घेराबंदी की जाती है ताकि पशु पानी को दूषित न कर दें. यह तकनीक अमूमन चिकनी मिट्टी से बने भंडारण टैंक से जुड़ी होती है. इसमें कार्यस्थल पर वर्षाजल संचयन क्षेत्र से पानी पंप के जरिये भंडारण टैंक तक पहुंचाया जाता है, यह अमूमन विंडमिल के जरिये संचालित होता है, जैसा चित्र 1 में बताया गया है.

चित्र 1. गहरे इलाके में वर्षाजल संचयन (ताजामेयर). स्रोत : यूजीनियो गोदोय वी., नेशनल कमीशन ऑन इंटीग्रेटेड रीजनल डेवलपमेंट ऑफ द पराग्वेयन चाओ, फिलाडेल्फिया, पराग्वे.

ताजामेयर्स में जमा पानी का इस्तेमाल सामान्यतः पशुओं को पानी पिलाने के लिए किया जाता है और सफाई और क्लोरीन डालने के बाद इन्हें घरेलू उपभोग के लिए भी प्रयोग में लाया जा सकता है. व्यक्तिगत ताजामेयर्स भी अक्सर भूजल स्रोतों के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए इस्तेमाल में लाये जाते हैं. पराग्वे चाको में बने ताजामेयर्स हर साल 6800 घन मीटर भूजल पुनर्भरण करते हैं.

वर्षाजल भंडारण क्षेत्र के रूप में नालियों का इस्तेमाल

बबूल के नये पौधों के चारो ओर बनी अर्धचंद्राकार नालियां वर्षाजल को ग्रहण और भंडारण करती हुईं. फोटो- एफएओ - एफएओ- टीएफ शाक्सोन

नालियां कार्यक्षेत्र में कृषि कार्य के लिए वर्षाजल का संचय करने हेतु प्रयोग में लायी जा सकती हैं. ये पौधों को लगाये जाने से पहले भी और उसके बाद भी बनायी जा सकती हैं, ताकि इनके पानी का इस्तेमाल भविष्य में किया जा सके. भूसंरचना की गहराइयों में विविधता के मद्देनजर खेतों में ही फसलों की कतारों के बीच पानी संरक्षित करने के लिए यह तरकीब इस्तेमाल की जाती है. इन नालियों में हर दो-तीन मीटर पर कीचड़ के डैम बनाये जा सकते हैं ताकि पानी को लंबे समय तक रोका जा सके और मृदा अपरदन और पानी के धरती में अत्यधिक अवशोषण को रोका जा सके. खेतों की पगडंडियां भी नालियों में पानी को रोकने के लिए मददगार हो सकती हैं, या कतारों के बीच गैर कृषियोग्य जमीन छोड़ी जा सकती है, यह एक मीटर तक हो सकती है ताकि इस जमीन पर गिरने वाले जल को नालियों में लाया जा सके.

गुइमेयर्स ड्यूक

गुइमेयर्स ड्यूक पद्धति का विकास 1950 में ब्राजील में हुआ है. इसके तहत नालियों का इस्तेमाल किया जाता है और क्यारियों को ऊंचा किया जाता है, इनमें पानी रोकने के लिए एक दूसरे को काटने वाली रेखाएं होती हैं जो उल्टे डिस्क वाले गड्ढे होते हैं और ऐसे कम से कम तीन डिस्क होते हैं. ये नालियां अमूमन खेतिहर जमीन के किनारे में बनायी जाती हैं.

लागत, क्रियान्वयन और रख-रखाव

इस तकनीक में बहुत कम रख-रखाव की जरूरत होती है, केवल जगह चुनना और तैयार करना होता है. इसका रख-रखाव खेती की रोजना की गतिविधियों के साथ हो जाता है, बस संग्रहण क्षेत्र को कचरे और अवांछित पौधों से मुक्त रखना पड़ता है. जहां सिर्फ कतार के हिस्से पर खेती की जाती है, जुताई वाले इलाके में गोलाकार घुमाने से भंडारण क्षेत्र का प्रभावी रख-रखाव होता है.

कार्यस्थल पर वर्षाजल संचयन की लागत न्यूनतम होती है. इस तकनीक का मुख्य व्यय उपकरण में और उन श्रमिकों के मेहनताना के रूप में होता है जो नालियां और घेराबंदी का निर्माण करते हैं. टेबल 1 में ब्राजील में कृषि क्षेत्र में विभिन्न तरीकों द्वार इनके निर्माण की प्रतिनिधि लागत का उल्लेख किया गया है. पराग्वे में ताजामेयर का निर्माण व्यय 4500 डालर बताया गया है. इसमें न सिर्फ मिट्टी की तैयारी की लागत शामिल है बल्कि भंडारण टैंक और विंडमिल जैसे उपकरणों का मूल्य भी जुड़ा हुआ है, जो चित्र 1 में दिखाया गया है.

टेबल 1. ब्राजील में वर्षाजल संचयन के विभिन्न कार्यस्थल तैयारी पद्धतियों की अनुमानित लागत डालर में.

पद्धति आधारभूत उपकरण पशु का किराया कुल क्रियान्वयन लागत प्रति घंटा
समतल घाटी नालियां 150.00 300.00 450.00 0.96
रोपणी के बाद बनी नालियां 80.00 300.00 380.00 0.90
रोपणी से पहले बनी नालियां 180.00 70.00 250.00 0.90
नालियां अवरोध के साथ 180.00 70.00 250.00 0.90
उन्नत बेड 1,500.00 1,000.00 2,500.00 12-15
आंशिक भूमि की नालियां 100.00 80.00 180.00 0.70
गुइमेयर्स ड्यूक पद्धति ... ... ... 12-15


तकनीक का आगामी विकास

नालियों और भंडारण क्षेत्रों में इस्तेमाल किये जा रहे उपकरणों का विकास किया जाना चाहिये. अपेक्षाकृत सस्ती जुताई और ट्रैक्टर क्रियान्वयन की लागत को घटा सकते हैं और छोटे किसानों द्वारा इसके इस्तेमाल को बढ़ाया जा सकता है. मृदा संरक्षण की नयी पद्धतियों की तलाश जरूरी है.

निर्देशिका, वीडियो और लिंक

Contacts - संपर्क

  • José Barbosa dos Anjos, Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro de Pesquisa Agropecuaria do Trópico Semi-Árido (CPATSA), BR-428 km 152, Zona Rural, Caixa Postal 23, 56300-000 Petrolina, Pernambuco, Brasil. Tel. (55-81)862-1711. Fax (55-81)862-1744. E-mail: [email protected].
  • जोस बारबोसा डोस एंजोस, इम्प्रेसिया ब्राजीलियेरा डे पेस्क्यूसा एग्रोपिक्यूआरिया (एम्ब्रापा), सेंट्रो डे पेस्क्यूएसा एग्रोपिक्यूआरिया डो ट्रोपिको सेमि-एरिडो (क्पाट्सा), बीआर-428 केएम 152, जोनल रूरल, काएक्सा पोस्टल 23, 56300-000 पेट्रोलिना, परनाम्बुको, ब्रासिल. टेल. (55-81)862-1711. फैक्स (55-81)862-1744. ई-मेल: [email protected].
  • Everaldo Rocha Porto, Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro de Pesquisa Agropecuaria do Trópico Semi-Árido (CPATSA), BR-428 km 152, Zona Rural, Caixa Postal 23, 56300-000 Petrolina, Pernambuco, Brasil. Tel. (55-81)862-1711. Fax (55-81)862-1744. E-mail: [email protected].
  • एवराल्डो रोचा पोर्टो, इम्प्रेसिया ब्राजीलियेरा डे पेस्क्यूसा एग्रोपिक्यूआरिया (एम्ब्रापा), सेंट्रो डे पेस्क्यूएसा एग्रोपिक्यूआरिया डो ट्रोपिको सेमि-एरिडो (क्पाट्सा), बीआर-428 केएम 152, जोनल रूरल, काएक्सा पोस्टल 23, 56300-000 पेट्रोलिना, परनाम्बुको, ब्रासिल. टेल. (55-81)862-1711. फैक्स (55-81)862-1744. ई-मेल : [email protected].
  • Luiza Teixeira de Lima Brito, Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro de Pesquisa Agropecuaria do Trópico Semi-Árido (CPATSA), BR-428 km 152, Zona Rural, Caixa Postal 23, 56300-000 Petrolina, Pernambuco, Brasil. Tel. (55-81)862-1711. Fax (55-81)862-1744. E-mail: [email protected].
  • लुइजा तेइक्सेरा डे लीमा ब्रिटो, इम्प्रेसिया ब्राजीलियेरा डे पेस्क्यूसा एग्रोपिक्यूआरिया (एम्ब्रापा), सेंट्रो डे पेस्क्यूएसा एग्रोपिक्यूआरिया डो ट्रोपिको सेमि-एरिडो (क्पाट्सा), बीआर-428 केएम 152, जोनल रूरल, काएक्सा पोस्टल 23, 56300-000 पेट्रोलिना, परनाम्बुको, ब्रासिल. टेल. (55-81)862-1711. फैक्स (55-81)862-1744. ई-मेल : [email protected].
  • Eduardo Torres, Instituto Argentino de Investigaciones de las Zonas Aridas (IADIZA), Dependiente del Consejo Nacional de Ciencia y Tecnologia (CONICET), Universidad Nacional de Cuyo y Gobierno de la Provincia de Mendoza, Casilla de Correo 507, 5500 Mendoza, República Argentina. Fax (54-61)287955.
  • इडुरेंडो टोरेस, इंस्टीटुटो अर्जेंटीनो डे इनवेस्टिगेसियोनस डे लास जोनस अरिडास (इआडिजा), डिपेंडिएंटे डेल कोनसेजो नासिओनल डे सिएनसिया वाई टेक्नोलोजिआ (कोनिकेट), यूनिवर्सिडाड नोसिओनल डे क्यूओ वाई गोबिएर्नो डे ला प्रोविंसिआ डे मेंडोजा, कासिल्ला डे कोर्रिओ 507, 5500 मेंडोजा, रिपब्लिका अर्जेंटीना. फैक्स (54-61)287955.
  • Maria Sonia Lopes da Silva, Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro de Pesquisa Agropecuaria do Trópico Semi-Árido (CPATSA), BR-428 km 152, Zona Rural, Caixa Postal 23, 56300-000 Petrolina, Pernambuco, Brasil. Tel. (55-81)862-1711. Fax (55-81)862-1744. E-mail: [email protected].
  • मारिआ सोनिया लोपेस डा सिल्वा, इम्प्रेसिया ब्राजीलियेरा डे पेस्क्यूसा एग्रोपिक्यूआरिया (एम्ब्रापा), सेंट्रो डे पेस्क्यूएसा एग्रोपिक्यूआरिया डो ट्रोपिको सेमि-एरिडो (क्पाट्सा), बीआर-428 केएम 152, जोनल रूरल, काएक्सा पोस्टल 23, 56300-000 पेट्रोलिना, परनाम्बुको, ब्रासिल. टेल. (55-81)862-1711. फैक्स (55-81)862-1744. ई-मेल : [email protected].
  • Aderaldo de Souza Silva, Empresa Brasileira de Pesquisa Agropecuaria (EMBRAPA), Centro Nacional de Pesquisa de Monitoramento e Avaliacao de Impacto Ambientalt (NPMA), Rodovia SP-340 km 127.5, Bairro Tanquinho Velho, Caixa Postal 69, 13820-000 Jaguariuna, São Paulo, Brasil. Tel.(55-4198)67-5633. Fax (55-4198)67-5225.
  • एड्राल्डो डे सूजा सिल्वा, इम्प्रेसिया ब्राजीलियेरा डे पेस्क्यूसा एग्रोपिक्यूआरिया (एम्ब्रापा), सेंट्रो डे पेस्क्यूएसा एग्रोपिक्यूआरिया डो ट्रोपिको सेमि-एरिडो (क्पाट्सा), बीआर-428 केएम 152, जोनल रूरल, काएक्सा पोस्टल 23, 56300-000 पेट्रोलिना, परनाम्बुको, ब्रासिल. टेल. (55-81)862-1711. फैक्स (55-81)862-1744.

संदर्भ आभार

सोर्स बुक ऑफ अल्टरनेटिव टेक्नोलॉजीज फॉर फ्रेशवाटर आउगमेंटेशन इन लैटिन अमेरिका एंड द कैरिबियन. 1.2 रेनवाटर हारवेस्टिंग इन सिटु. यूएनइपी – इंटरनेशनल इंवायरमेंट टेक्नोलॉजी सेंटर युनाइटेड नेशन्स इनवायरमेंट प्रोग्राम. यूनिट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड इन्वायरमेंट जेनरल सेक्रेटारियेट, ऑरगेनाइजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट, वाशिंगटन, डीसी, 1997.