Difference between revisions of "वाटर पोर्टल / वर्षाजल संचयन / भूजल पुनर्भरण / कंटूर मेड़बंदी"

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चुकि कंटूर मेड़ तकनीक में पारंपरिक खेती के मुकाबले नयी जुताई और रोपण विधि का प्रयोग किया जाता है, ऐसे में किसान शुरुआत में इस तकनीक को स्वीकारने में अनिच्छा का प्रदर्शन कर सकते हैं. इसलिए प्रदर्शन और प्रेरणा की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है. दूसरी ओर, यह जल संचयन के आसान और सस्ते तरीकों में से एक है. इसे किसान महज एक कुदाल का उपयोग कर कार्यान्वित कर सकता है, किसी अतिरिक्त लागत की जरूरत नहीं होती. बाहरी समर्थन की आवश्यकता न्यूनतम होती है. वैकल्पिक तौर पर इसमें यंत्रों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है और उपकरणों की कुछ किस्मों का इस्तेमाल किया जा सकता है. चूंकि किसान इसे अपनी ही जमीन पर लागू कर सकते हैं, इसलिए लागू करने वालों और लाभार्थी के बीच हितों का टकराव भी नहीं होता है.
 
चुकि कंटूर मेड़ तकनीक में पारंपरिक खेती के मुकाबले नयी जुताई और रोपण विधि का प्रयोग किया जाता है, ऐसे में किसान शुरुआत में इस तकनीक को स्वीकारने में अनिच्छा का प्रदर्शन कर सकते हैं. इसलिए प्रदर्शन और प्रेरणा की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है. दूसरी ओर, यह जल संचयन के आसान और सस्ते तरीकों में से एक है. इसे किसान महज एक कुदाल का उपयोग कर कार्यान्वित कर सकता है, किसी अतिरिक्त लागत की जरूरत नहीं होती. बाहरी समर्थन की आवश्यकता न्यूनतम होती है. वैकल्पिक तौर पर इसमें यंत्रों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है और उपकरणों की कुछ किस्मों का इस्तेमाल किया जा सकता है. चूंकि किसान इसे अपनी ही जमीन पर लागू कर सकते हैं, इसलिए लागू करने वालों और लाभार्थी के बीच हितों का टकराव भी नहीं होता है.
  
===Suitable conditions===
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===उपयुक्त परिस्थितियां===
Contour ridges for crop production can be used under the following conditions:
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फसल उत्पादन के लिए कंटूर मेड़बंदी का निम्नलिखित परिस्थितियों में इस्तेमाल किया जा सकता है:
  
* Field from flat up to 5.0%.  
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* ऐसे खेत जो 5.0% तक समतल हों.
* Field Rainfall 350-700 mm.
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* वहां वर्षा 350-700 मिमी तक होती हो.
* Area with rills or ondulations should be avoided.
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* रिल्स या ओंडुलेशन जैसे क्षेत्रों से बचा जाना चाहिए.
  
The distance between the ridges should be adapted depending on rainfall amount.<br>
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मेड़ों के बीच की दूरी वर्षा राशि के आधार पर निर्धारित की जानी चाहिए.<br>
This low cost technology has the potential to increase food security in below normal rainfall years.<br>
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इस कम लागत वाली तकनीक से सामान्य से कम बारिश वाले इलाकों में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने की क्षमता है.<br>
The relatively low planting density discourages farmers, especially in a good year, and the technique does not work well on steep slopes.
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अपेक्षाकृत कम रोपण घनत्व की बात किसानों को हतोत्साहित कर सकती है, खास कर एक अच्छे साल में और खड़ी ढलान पर तकनीक अच्छी तरह से काम नहीं करता है. कंटूर मेड़बंदी अपेक्षाकृत अधिक वर्षा के साथ क्षेत्रों तक ही सीमित हो जाते हैं, छोटे जलग्रहण क्षेत्र की वजह से कृषि योग्य पानी की मात्रा बहुत कम रह जाती है.
Contour ridges are limited to areas with relatively high rainfall, as the amount of harvested runoff is comparatively small due to the small catchment area.  
 
  
===Construction, operations and maintenance===
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===निर्माण, संचालन और रखरखाव===
[[Image:ContourRidgeDrawing.JPG|thumb|right|200px| Contour ridge in Kenya. Photo: SAI.]]
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[[Image:ContourRidgeDrawing.JPG|thumb|right|200px| केन्या में कंटूर मेड़. फोटो: एसएआई.]]
The overall layout consists of parallel, or almost parallel, earth ridges approximately on the contour at a spacing of between one and two metres. Soil is excavated and placed downslope to form a ridge, and the excavated furrow above the ridge collects runoff from the catchment strip between ridges. Small earth ties in the furrow are provided every few metres to ensure an even storage of runoff. A diversion ditch may be necessary to protect the system against runoff from outside.  
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समानांतर, या लगभग समानांतर, कंटूर मेड़ों का समग्र लेआउट एक और दो मीटर की दूरी पर होता है. मेड़ बनाने के लिए मिट्टी की खुदाई कर निचले ढलान पर रखा जाता है, ताकि जलग्रहण क्यारियों और मेड़ के बीच बारिश के पानी को रोका जा सके. नालियों को कुछ मीटर की दूरी पर एक दूसरे से जोड़ दिया जाता है ताकि पानी का समान वितरण हो सके. मोड़ पर खाई बनाना जरूरी होता है ताकि इसे बाहरी बारिश से बचाया जा सके.
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मेड़ों को उतना ऊंचा ही बनाना चाहिये ताकि बारिश के पानी को बाहर जाने से रोका जा सके. जैसा कि बारिश के पानी का संचयन मेड़ों के बीच एक छोटी सी क्यारी से किया जाता है, ऐसे में इसकी ऊंचाई 15 -20 सेमी ही पर्याप्त होती है. अगर बांधों के बीच 2 मीटर से अधिक दूरी हो, तो मेड़ की ऊंचाई में वृद्धि की जानी चाहिए.
  
Ridges need only be as high as necessary to prevent overtopping by runoff. As the runoff is harvested only from a small strip between the ridges, a height of 15 -20 cm is sufficient. If bunds are spaced at more than 2 metres, the ridge height must be increased.
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कृषि भूमि को परिभाषित करना आसान नहीं है. नालियों के साथ 50 सेमी की क्यारियां बनाना आम बात है. इस क्षेत्र के भीतर ही फसलें लगायी जाती हैं, और बारिश के पानी को नालियों में उपयोग किया जाता है. इस प्रकार मेड़ों के बीच 1.5 मीटर की विशिष्ट दूरी के लिए, सी: सीए अनुपात 2:1 होगा; यानी जलग्रहण क्यारी एक मीटर की होगी और कृषि क्यारी आधा मीटर की. 2 मीटर की दूरी वाले मेड़ों में यह अनुपात 3:1 होगा. मेड़ों के बीच दूरी बढ़ाने या घटाने पर सी:सीए अनुपात को इसी आधार पर समायोजित किया जा सकता है.
  
The cultivated area is not easy to define. It is a common practice to assume a 50 cm strip with the furrow at its centre. Crops are planted within this zone, and use the runoff concentrated in the furrow. Thus for a typical distance of 1.5 m between ridges, the C:CA ratio is 2:1; that is a catchment strip of one metre and a cultivated strip of half a metre. A distance of 2 metres between ridges would give a 3:1 ratio. The C:CA ratio can be adjusted by increasing or decreasing the distance between the ridges.  
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अगर शुरुआत में ही मेड़ों का निर्माण ठीक से कर लिया जाये, तो कम से कम रखरखाव की जरूरत होती है. कोई कतार या मेड़ें अगर ध्वस्त हो गई हों तो पुनर्निर्माण की आवश्यकता हो जाती है.
  
Minimal maintenance is required if the ridges are properly constructed initially. Maintenance involves reconstruction of any lines and ridges that might have collapsed.
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===लागत===
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मानव श्रम से बनाने पर, एक अनुमान के अनुसार 32 व्यक्ति दिवस/हेक्टेयर की आवश्यकता होती है. मशीनरी का उपयोग करते हुए, समय तो कम लगता है, लेकिन लागत 100 अमेरिकी डॉलर/हेक्टेयर तक बढ़ जाती है. हालांकि यह तकनीक, कम लागत वाली है, इसे लागू करने की दर भी बहुत ऊंची नहीं है.
  
===Costs===
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===जमीनी अनुभव===
With human labour, an estimated 32 person days/ha is required. Using machinery, the time requirement is reduced, but the costs are increased to an estimated US$100/ha. This technology is considered low cost, although the rate of its adoption has not been high.
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जहां कंटूर मेड़ हाथों से जानवर की मदद से बनाये जा सकते हैं, इनका कार्यान्वयन यंत्रीकृत भी हो सकता है. बड़े पैमाने पर इसे लागू करने के लिए यह विशेष रूप से उपयुक्त है. दिमेरगाओ, नाइजर में इसके एकीकृत कार्यक्रम को लागू कराने के लिए परीक्षण के दौरान पाया गया कि इसके जरिये कम गुणवत्ता वाली जमीन को उत्पादन के काम में लाया जा सकता है. ऐसी जमीन जहां वार्षिक वर्षा 300 मिमी के आसपास हो. फसल उत्पादन के लिए कंटूर मेड़ तकनीक का इस्तेमाल सबसे पहले 1988 में किया गया था.
  
===Field experiences===
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मेड़ के प्रयोजन के लिए, एक विशेष हल को विकसित किया गया है, इससे कंटूर से 2 मीटर की दूरी लिए सीधी रेखा में जुताई की जाती है. यह मशीन प्रतिवर्ती है, और नाली के नीचे उप-मिट्टी में रिसाव की दरों में वृद्धि करने के लिए दरारें बन जाती हैं. इस मशीन द्वारा  क्रास टाई बनाया जाता है ताकि नियंत्रित तरीके से दूरी की समानता को बरकरार रखे. यह देखा गया है कि एक हेक्टेयर जमीन का उपचार एक घंटे में किया जा सकता है, और एक ही मशीन से चार महीने के एक मौसम में 1,000 हेक्टेयर जमीन का उपचार किया जा सकता है. हालांकि, ग्रामीणों की भागीदारी और भूस्वामित्व की जटिलताओं पर खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है.
While contour ridges can be made by hand or by animal draft, implementation can also be mechanized. This is particularly appropriate for larger scale implementation. The Integrated Programme for the Rehabilitation of Damergou, Niger is testing ways of bringing degraded land back into productive use, where annual rainfall is only in the range of 300 mm. The contour ridge technique for crop production was introduced 1988.  
 
  
For this purpose, a special plough was designed to form the ridges, usually in straight lines (though approximately on the contour), at a distance of 2 metres apart. The machine is reversible, and the sub-soil beneath the furrows is ripped to increase infiltration rates. Cross ties are formed by the machine at an automatically controlled spacing. It is reported that one hectare can be treated in an hour, and up to 1,000 ha in a four month season by a single machine. The involvement of the villagers and implications for land tenure however need to be carefully taken into account as the programme develops.
 
  
====Akvo RSR Projects====
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====एक्वो आरएसआर परियोजना====
The following project(s) utilize contour ridges.
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निम्नांकित परियोजनाओं में कंटूर मेड़बंदी का इस्तेमाल हुआ है.
 
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{|style="border: 2px solid #e0e0e0; width: 20%; text-align: justify; background-color: #e9f5fd;"  cellpadding="2"
 
{|style="border: 2px solid #e0e0e0; width: 20%; text-align: justify; background-color: #e9f5fd;"  cellpadding="2"
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|[[Image:akvorsr logo_lite.png|center|60px|link=http://akvo.org/products/rsr/]]
 
|[[Image:akvorsr logo_lite.png|center|60px|link=http://akvo.org/products/rsr/]]
 
|- style="vertical-align: bottom"
 
|- style="vertical-align: bottom"
|[[Image:project 674.png|thumb|center|140px|<font size="2"><center>[http://rsr.akvo.org/project/674/ RSR Project 674]<br>Wateroogst: <br> Konso Woreda/Eshimale</center></font>|link=http://rsr.akvo.org/project/674/ ]]  
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|[[Image:project 674.png|thumb|center|140px|<font size="2"><center>[http://rsr.akvo.org/project/674/ आरएसआर परियोजना 674]<br>वाटरूस्ट: <br> कोन्सो वोरेडा/एशिमेल</center></font>|link=http://rsr.akvo.org/project/674/ ]]  
 
|}
 
|}
  
 
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===Manuals, videos and links===
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===नियमावली, वीडियो और लिंक===
* [http://www.thewaterchannel.tv/images/watersmartagriculture_CGIAR_2015.pdf Water-Smart Agriculture in East Africa], a collaborative effort by [http://www.care.org/ CARE], [http://globalwaterinitiative.org/ GWI], [http://www.iwmi.cgiar.org/ IWMI], and [http://www.cgiar.org/ CGIAR]. A 321-page sourcebook for improving water management for smallholder farmers.
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* [http://www.thewaterchannel.tv/images/watersmartagriculture_CGIAR_2015.pdf पूर्वी अफ्रीका में जल-स्मार्ट कृषि], [http://www.care.org/ केयर], [http://globalwaterinitiative.org/ जीडब्लूआई], [http://www.iwmi.cgiar.org/ आईडब्लूएमआई], और [http://www.cgiar.org/ सीजीआईएआर] द्वारा एक सहयोगात्मक प्रयास. छोटे किसानों के लिए जल प्रबंधन में सुधार वाला 321 पृष्ठ का एक स्रोत.
  
* [http://www.fao.org/docrep/U3160E/u3160e07.htm 5.Water Harvesting Techniques.] FAO.
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* [http://www.fao.org/docrep/U3160E/u3160e07.htm 5.जल संचयन तकनीक.] एफएओ.
  
* Large wiki on water use for agriculture: [http://agropedia.iitk.ac.in/ Agropedia]
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* कृषि के लिए पानी के उपयोग पर विकिपीडिया स्रोत: [http://web.archive.org/web/20151025174729/http://agropedia.iitk.ac.in:80/ एग्रोपीडिया]
  
===Acknowledgements===
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===संदर्भ साभार===
* Rufino, L., [http://www.saiplatform.org/uploads/Modules/Library/SAI%20Technical%20Brief%205%20%20The%20Importance%20of%20Soil%20to%20Water%20Use.pdf Water Conservation Technical Briefs: TB 2 – Rainwater Harvesting and Artificial Recharge to Groundwater]. Sustainable Agriculture Initiative (SAI). August 2009.
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* रुफीनो एल, [http://www.saiplatform.org/uploads/Modules/Library/SAI%20Technical%20Brief%205%20%20The%20Importance%20of%20Soil%20to%20Water%20Use.pdf वाटर कंजर्वेशन टेक्निकल ब्रीफ : टीबी 2 - रेनवाटर हार्वेस्टिंग एंड आर्टिफिशियल रिचार्ज टू ग्राउंडवाटर]. सस्टेनेबल एग्रीकल्चर इनिशियेटिव (साई). अगस्त 2009.
* Natural Resources Management and Environment Department, [http://www.fao.org/docrep/U3160E/u3160e07.htm 5.Water Harvesting Techniques.] FAO.
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* नेचुरल रिसोर्सेज मैनेजमेंट एंड इन्वायरमेंट डिपार्टमेंट, [http://www.fao.org/docrep/U3160E/u3160e07.htm 5.जल संचयन तकनीक.] एफएओ.
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Latest revision as of 02:28, 2 December 2016

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Contour ridges icon.png
कंटूर मेड़ें. फोटो: मेक ए मार्क.

कंटूर मेड़बंदी, जिन्हें कई दफा कंटूर फरोज या माइक्रो वाटरशेड भी कहा जाता है, का इस्तेमाल फसल उत्पादन के लिए किया जाता है. कंटूर के बाद मेड़बंदी आमतौर पर 1 से 2 मीटर की दूरी पर होती हैं. बारिश का पानी मेड़बंदी के बीच में गैरकृषि भूमि की क्यारियों में जमा किया जाता है और उनका भंडारण मेड़ के ठीक ऊपर की नालियों में किया जाता है. नालियों के दोनों किनारों पर फसलें उगायी जाती हैं.

बहुत कम लंबे जलग्रहण क्षेत्र में जमा बारिश के पानी से उपज काफी बेहतर होती है और जब डिजाइन व निर्माण सही ढंग से किया गया हो तो सिस्टम से बाहर अपवाह का कोई नुकसान नहीं होता है. इसका एक और लाभ यह है कि पैदावार समान रूप से होती है, क्योंकि हर पौधे को अमूमन एक ही जलग्रहण क्षेत्र का पानी मिलता है.

चुकि कंटूर मेड़ तकनीक में पारंपरिक खेती के मुकाबले नयी जुताई और रोपण विधि का प्रयोग किया जाता है, ऐसे में किसान शुरुआत में इस तकनीक को स्वीकारने में अनिच्छा का प्रदर्शन कर सकते हैं. इसलिए प्रदर्शन और प्रेरणा की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है. दूसरी ओर, यह जल संचयन के आसान और सस्ते तरीकों में से एक है. इसे किसान महज एक कुदाल का उपयोग कर कार्यान्वित कर सकता है, किसी अतिरिक्त लागत की जरूरत नहीं होती. बाहरी समर्थन की आवश्यकता न्यूनतम होती है. वैकल्पिक तौर पर इसमें यंत्रों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है और उपकरणों की कुछ किस्मों का इस्तेमाल किया जा सकता है. चूंकि किसान इसे अपनी ही जमीन पर लागू कर सकते हैं, इसलिए लागू करने वालों और लाभार्थी के बीच हितों का टकराव भी नहीं होता है.

उपयुक्त परिस्थितियां

फसल उत्पादन के लिए कंटूर मेड़बंदी का निम्नलिखित परिस्थितियों में इस्तेमाल किया जा सकता है:

  • ऐसे खेत जो 5.0% तक समतल हों.
  • वहां वर्षा 350-700 मिमी तक होती हो.
  • रिल्स या ओंडुलेशन जैसे क्षेत्रों से बचा जाना चाहिए.

मेड़ों के बीच की दूरी वर्षा राशि के आधार पर निर्धारित की जानी चाहिए.
इस कम लागत वाली तकनीक से सामान्य से कम बारिश वाले इलाकों में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने की क्षमता है.
अपेक्षाकृत कम रोपण घनत्व की बात किसानों को हतोत्साहित कर सकती है, खास कर एक अच्छे साल में और खड़ी ढलान पर तकनीक अच्छी तरह से काम नहीं करता है. कंटूर मेड़बंदी अपेक्षाकृत अधिक वर्षा के साथ क्षेत्रों तक ही सीमित हो जाते हैं, छोटे जलग्रहण क्षेत्र की वजह से कृषि योग्य पानी की मात्रा बहुत कम रह जाती है.

निर्माण, संचालन और रखरखाव

केन्या में कंटूर मेड़. फोटो: एसएआई.

समानांतर, या लगभग समानांतर, कंटूर मेड़ों का समग्र लेआउट एक और दो मीटर की दूरी पर होता है. मेड़ बनाने के लिए मिट्टी की खुदाई कर निचले ढलान पर रखा जाता है, ताकि जलग्रहण क्यारियों और मेड़ के बीच बारिश के पानी को रोका जा सके. नालियों को कुछ मीटर की दूरी पर एक दूसरे से जोड़ दिया जाता है ताकि पानी का समान वितरण हो सके. मोड़ पर खाई बनाना जरूरी होता है ताकि इसे बाहरी बारिश से बचाया जा सके. मेड़ों को उतना ऊंचा ही बनाना चाहिये ताकि बारिश के पानी को बाहर जाने से रोका जा सके. जैसा कि बारिश के पानी का संचयन मेड़ों के बीच एक छोटी सी क्यारी से किया जाता है, ऐसे में इसकी ऊंचाई 15 -20 सेमी ही पर्याप्त होती है. अगर बांधों के बीच 2 मीटर से अधिक दूरी हो, तो मेड़ की ऊंचाई में वृद्धि की जानी चाहिए.

कृषि भूमि को परिभाषित करना आसान नहीं है. नालियों के साथ 50 सेमी की क्यारियां बनाना आम बात है. इस क्षेत्र के भीतर ही फसलें लगायी जाती हैं, और बारिश के पानी को नालियों में उपयोग किया जाता है. इस प्रकार मेड़ों के बीच 1.5 मीटर की विशिष्ट दूरी के लिए, सी: सीए अनुपात 2:1 होगा; यानी जलग्रहण क्यारी एक मीटर की होगी और कृषि क्यारी आधा मीटर की. 2 मीटर की दूरी वाले मेड़ों में यह अनुपात 3:1 होगा. मेड़ों के बीच दूरी बढ़ाने या घटाने पर सी:सीए अनुपात को इसी आधार पर समायोजित किया जा सकता है.

अगर शुरुआत में ही मेड़ों का निर्माण ठीक से कर लिया जाये, तो कम से कम रखरखाव की जरूरत होती है. कोई कतार या मेड़ें अगर ध्वस्त हो गई हों तो पुनर्निर्माण की आवश्यकता हो जाती है.

लागत

मानव श्रम से बनाने पर, एक अनुमान के अनुसार 32 व्यक्ति दिवस/हेक्टेयर की आवश्यकता होती है. मशीनरी का उपयोग करते हुए, समय तो कम लगता है, लेकिन लागत 100 अमेरिकी डॉलर/हेक्टेयर तक बढ़ जाती है. हालांकि यह तकनीक, कम लागत वाली है, इसे लागू करने की दर भी बहुत ऊंची नहीं है.

जमीनी अनुभव

जहां कंटूर मेड़ हाथों से जानवर की मदद से बनाये जा सकते हैं, इनका कार्यान्वयन यंत्रीकृत भी हो सकता है. बड़े पैमाने पर इसे लागू करने के लिए यह विशेष रूप से उपयुक्त है. दिमेरगाओ, नाइजर में इसके एकीकृत कार्यक्रम को लागू कराने के लिए परीक्षण के दौरान पाया गया कि इसके जरिये कम गुणवत्ता वाली जमीन को उत्पादन के काम में लाया जा सकता है. ऐसी जमीन जहां वार्षिक वर्षा 300 मिमी के आसपास हो. फसल उत्पादन के लिए कंटूर मेड़ तकनीक का इस्तेमाल सबसे पहले 1988 में किया गया था.

मेड़ के प्रयोजन के लिए, एक विशेष हल को विकसित किया गया है, इससे कंटूर से 2 मीटर की दूरी लिए सीधी रेखा में जुताई की जाती है. यह मशीन प्रतिवर्ती है, और नाली के नीचे उप-मिट्टी में रिसाव की दरों में वृद्धि करने के लिए दरारें बन जाती हैं. इस मशीन द्वारा क्रास टाई बनाया जाता है ताकि नियंत्रित तरीके से दूरी की समानता को बरकरार रखे. यह देखा गया है कि एक हेक्टेयर जमीन का उपचार एक घंटे में किया जा सकता है, और एक ही मशीन से चार महीने के एक मौसम में 1,000 हेक्टेयर जमीन का उपचार किया जा सकता है. हालांकि, ग्रामीणों की भागीदारी और भूस्वामित्व की जटिलताओं पर खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है.


एक्वो आरएसआर परियोजना

निम्नांकित परियोजनाओं में कंटूर मेड़बंदी का इस्तेमाल हुआ है.

Akvorsr logo lite.png
आरएसआर परियोजना 674
वाटरूस्ट:
कोन्सो वोरेडा/एशिमेल


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संदर्भ साभार

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