वाटर पोर्टल / वर्षाजल संचयन / कोहरा और ओस संग्रह / कोहरा जल संग्रह और भंडारण
< वाटर पोर्टल / वर्षाजल संचयन | कोहरा और ओस संग्रहकोहरा जल संग्रह के लिए बड़े आकार की पोलीप्रोपलीन की जालियों का इस्तेमाल की जाती हैं जो पानी की बूंदों से भरे कोहरे को रोक कर पानी में बदलती हैं. पहाड़ी इलाकों और तटीय क्षेत्रों में आर्द मौसम में खूब कोहरा होता है. इन जालियों को हवा के सामने खड़ा किया जाता है. ये पानी की अत्यंत छोटी बूंदों तक को थामने में कामयाब होती हैं. यहां से ये बूंदें एक नालीनुमा आकृति के जरिए टैंक में पहुंचती हैं. वृक्ष और घास भी इसी तरह कोहरे को पानी में बदलते हैं.
आमतौर पर इस कोहरे की गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है लेकिन इसके वायु प्रदूषण, छत की धूल या धातु की शीट पर लगी जंग आदि से प्रभावित होने की आशंका रहती है. अगर इन प्रदूषकों को थामने का उपाय किया जा सका तो यह पानी सीधे-सीधे या थोड़े बहुत उपचार के बाद पीने के लिए या अन्य घरेलू कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है.
उपयुक्त स्थितियां
कोहरे या कहें धुंध का संग्रह उन स्थानों पर बहुत उपयुक्त होता है जहां अक्सर कोहरे जैसी स्थितियां बनती हैं. पहाड़ी इलाके जहां बादलों के चलते कोहरे की चादर छाई रहती है या जहां बादल पहाड़ों के ऊपर मंडराते रहते हैं. साथ ही अगर वहां हवा का बहवा 3 से 12 मीटर प्रति सेकंड के बीच हो और उसे कोई बाधा न हो तो यह और भी अच्छी बात है.
समुद्र की सतह पर उठने वाली धुंध या रात्रिकालीन विकरिण से पैदा होने वाली धुंध में आमतौर पर पर्याप्त पानी नहीं होता. इन जगहों पर हवा की गति भी इतनी नहीं होती कि पानी एकत्रित किया जा सके. मौसम विज्ञान विभाग के रिकॉर्ड और स्थानीय लोग इस बारे में जानकारी दे सकते हैं. ऐसी किसी भी जगह का चयन करते वक्त मौसम संबंधी और भौगोलिक विचार बहुत मायने रखते हैं. उदाहरण के लिए हवा के बहाव की दिशा, एक निश्चित ऊंचाई पर बादलों का बनना, धुंध से पानी एकत्रित करने वालों के लिए पर्याप्त जगह और किसी किस्म की बाधा का न होना आवश्यक है. तटवर्ती इलाकों की बात करें तो वहां तट से 5-10 किमी के दायरे में पहाड़ होने चाहिए.
अगर पर्याप्त पानी संग्रहित किया जा सका तो वहां पौधरोपण भी किया जा सकता है और फसल भी बोई जा सकती है. एक बार अगर पौधरोपण में सफलता मिल गई तो फिर वे पौधे खुद धुंध की बूंदों को ग्रहण कर सकते हैं.
लाभ | हानि |
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- परियोजना लागत कम - साधारण तकनीक और देखरेख |
- इस तरीके से अपेक्षाकृत कम पानी जुटाया जा सकता है. - पोलीप्रोपलीन कुछ जगहों पर आसानी से नहीं मिलती. |
पर्यावरण में बदलाव को लेकर लचीलापन
समुद्र की सतह में बदलाव या मौसम के तापमान में बदलाव से बादलों की ऊंचाई प्रभावित हो सकती है. इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोहरे को एकत्रित करने वाली जाली उस स्थान पर एकदम बीचोंबीच लगी हो जहां धुंध सबसे अधिक होती है. अगर जलवायु परिवर्तन की वजह से बादलों का रुख बदलता है तो इन जालियों को हटाकर उस इलाके में ले जाना होगा जहां कोहरे का घनत्त्व सबसे ज्यादा हो. तटीय और ऊपरी इलाकों के वनों में तथा कटिबंधीय इलाकों में जहां कोहरा बहुत अधिक होता है वे सबसे अधिक प्रभावित होंगे.
जब इस तरीके से संग्रहित जल का इस्तेमाल सिंचाई करने और इस तरह जंगलों में पौधरोपण बढ़ाने में किया जाता है तो तो इसे मरुस्थलीकरण की प्रकिया को कम किया जा सकता है.
निर्माण, परिचालन और रखरखाव
एक बार पोलीप्रोपलीन की जाली हासिल हो जाने के बाद दो परत मेंं उसका सही इस्तेमाल किया जाना चाहिए. यह जाली या तो पोलीप्रोपलीन की होती है या फिर पोलीथिलीन की. यह पराबैंगनी किरणों से सुरक्षित होती है और 35 फीसदी तक छांव करती है और इसकी बुनावट का धागा 1 मिमी तक मोटा होता है. जाली का आकार और धागे की मोटाई जितनी कम होगी इसकी क्षमता उतनी ही अधिक होगी.
समुचित मात्रा में जल एकत्रित करने के लिए यह आवश्यक है कि जगह भी पर्याप्त हो. आमतौर पर एक जाली आकार में 12 मीटर लंबी, 4 मीटर ऊंची होनी चाहिए. प्राय: इस तरह एकत्रित होने वाले पानी की मात्रा अलग-अलग जगह पर अलग-अलग होती है. लेकिन यह औसतन प्रति क्यूबिक मीटर प्रति दिन 2 से 5 लीटर के बीच होती है. अगर अधिकतम स्तर देखा जाए तो यदाकदा यह 10 लीटर रोजाना तक भी हो सकती है.
जालियों को 5 मीटर की दूरी पर क्षैतिज ढंग से लगाएं और धुंध संग्राहक की ऊंचाई के 60 गुना या उससे अधिक दूरी तक. इसकी दिशा जगह के मुताबिक ऊपर या नीचे हो सकती है. इससे सबसे बेहतरीन एकत्रीकरण में मदद मिलती है. इसका यह अर्थ भी हुआ कि हवा से होने वाला नुकसान उतना नहीं होता जितना कि एक दूसरे से सटी हुई जालियां लगाने से होता है. आमतौर पर ये जालियां 20 मीटर प्रति सेकंड तक की गति से बह रही हवा से निपटने के लिए ठीक होती हैं.
एक धुंध संग्राहक इकाई से आमतौर पर प्रति दिन 150 लीटर से 750 लीटर तक पानी एकत्रित किया जा सकता है लेकिन कुछ योजनाओं के तहत तो प्रति दिन 2000 से 5000 लीटर तक पानी एकत्रित करते देखा गया.
अगर धुंध या कोहरे की जलबूंदों का आकार बड़ा हुआ तो पानी एकत्रित होने की गुंजाइश अधिक होती है. हवा की तेज गति, संग्राहक जाली के धागों का पतलापन, जाली की चौड़ाई ये सभी इसमें सकारात्मक योगदान करते हैं. इसके अलावा इसमें पानी की निकासी की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए. जब हवा तेज चल रही हो तो जाली को आमतौर पर हटा लिया जाना चाहिए. यह रखरखाव की सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है.
रखरखाव
पोलीप्रोपलीन की जाली की उम्र करीब 10 वर्ष होती है. नेपाल में इनका परिचालन और रखरखाव मुश्किल होता है क्योंकि वहां पोलीप्रोपलीन समेत तमाम चीजें नहीं मिल पातीं. ऐसे में यही सलाह दी जाती है कि वहां काम करते समय इनका भरपूर भंडार रखा जाए. जब हवा तेज चल रही हो तब जाली हटा देनी चाहिए. यह रखरखाव की सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है. दूरदराज इलाकों में स्थित धुंध संग्राहकों के लिए ऐसे अलग डिजाइन तैयार करने पर शोध चल रहा है जो पर्याप्त मजबूती प्रदान कर सकें.
लागत
इसकी लागत धुंध संग्राहक के आकार, उसमें लगने वाले सामान की गुणवत्ता, श्रम और उस जगह पर निर्भर करती है. छोटे आकार के धुंध संग्राहकों की कीमत 75 डॉलर से 200 डॉलर के बीच पड़ती है. 40 घनमीटर के बड़े संग्राहकों की कीमत 1,000 से 1,500 अमेरिकी डॉलर के बीच पड़ती है. ये तकरीबन 10 साल तक चल जाते हैं. एक गांव में स्थापित परियोजना जो रोज करीब 2000 लीटर पानी पैदा करती है उसकी लागत 15,000 डॉलर (फॉग क्वेस्ट 2011) पड़ती है. अगर कई इकाइयां स्थापित की जाएं तो पानी इकठ्ठा करने की लागत बहुत कम पड़ती है. इतना ही नहीं उस स्थिति में इस्तेमाल में लाए गए पैनलों को जलवायु में बदलाव तथा पानी की मांग के हिसाब से कम ज्यादा भी किया जा सकता है (यूएनईपी, 1997). सामुदायिक भागीदारी की मदद से धुंध जल संग्रहण व्यवस्था में श्रम की लागत को काफी कम किया जा सकता है.
- सामग्री: पोलीप्रोपलीन जाली प्रति मीटर2 (पेरु और चिली): 0.25 अमेरिकी डॉलर
- श्रम: बड़े धुंध संग्राहकों का निर्माण और स्थापना, जलसंरक्षण टैंक और नलका:
- कुशल श्रमिक: 140 मानव दिवस (नेपाल): 4 डॉलर रोजाना
- अकुशल श्रमिक: 400 मानव दिवस (नेपाल): 2.75 डॉलर रोज
- सामग्री और श्रम सब मिलाकर:
- निर्माण सामग्री समेत धुंध संग्राहक : 100-200 अमेरिकी डॉलर
- 48 मीटर 2 कोहरा संग्राहक संग्रह करता है 3 लीटर/मी2/प्रतिदिन: 378 अमेरिकी डॉलर
- लागत प्रति मीटर2 नेपाल में जलाशय और नलकों समेत): 60 डॉलर
जमीनी अनुभव
अंतरराष्ट्रीय विकास शोध केंद्र (1995) के मुताबिक चिली,पेरु और इक्वाडोर के अलावा जिन क्षेत्रों में सबसे अधिक संभावनाएं मौजूद हैं वे हैं- अफ्रीका का दक्षिणी अटलांटिक तट (अंगोला, नामीबिया), दक्षिण अफ्रीका, केप वर्डे, चीन, पूर्वी यमन, ओमान, मेक्सिको, केन्या और श्रीलंका.
नेपाल, पेरु और चिली में इस प्रकार संग्रहित जल का प्रयोग किया जाता है.
गवाटेमाला में मौजूद ऐसे सबसे बड़े केंद्र पर शुष्क दिनों में भी रोजाना 7,000 लीटर पानी एकत्रित करने में मदद मिलती है. नेपाल में प्रति घनमीटर लागत 60 डॉलर थी जिसमें सभी सामग्री, जलाशय और श्रम आदि की पूरी लागत शामिल थी.
Manuals, videos, and links
- FogQuest
- NEWAH information on fog water collection. Nepal Water for Health (NEWAH) homepage.
- Tapping into Fog, IDRC. International Development Research Centre (IDRC) homepage
- Fogwater Harvesting for Community Water Supply MSc Thesis, Cranfield University
- The Environment Canada Handbook on Fog and Fog Forecasting Environment Canada.
Acknowledgments
- CARE Nederland, Desk Study: Resilient WASH systems in drought-prone areas. October 2010.
- Smart Water Harvesting Solutions: Examples of innovative, low cost technologies for rain, fog, and runoff water and groundwater. (or alternative link) Netherlands Water Partnership, Aqua for All, Agromisa, et al. 2007.
- Schemenauer, Robert and Cereceda, Pilar. Tiempo: Fog Collection
- Technologies for Climate Change Adaptation: Agricultural Sector. UNEP. August 2011.