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प्रति हेक्टेयर विनिर्माण लागत के रूप में करीब 100 दिन तक श्रमिक कर्म शामिल है. इसमेंं गड्ढों और नहर का बुनियादी ढाँचा शामिल है. अन्य लागत की बात करें तो वे मामूली हैं. रखरखाव की सालाना जरूरत प्रति हेक्टेयर 10 व्यक्ति दिन है. सूखे वर्ष में यह कम होता है लेकनि भारी बारिश के समय इसमें अत्यधिक इजाफा भी हो सकता है. स्पष्ट है कि यह अपेक्षाकृत महंगी तकनीक है. खासतौर पर अगर श्रम को ध्यान मेंं रखा जाए. चूंकि यह व्यवस्था सीधे तौर पर उत्पादन बढ़ाने से जुड़ी है इसलिए इसकी लागत झटपट वसूली जा सकती है. निवेश की तुलना मेंं इसके लाभ सकारात्मक है. दीर्घावधि के हिसाब से तो ये अत्यंत सकारात्मक कहे जा सकते हैं.
===जमीनी अमुभवअनुभव===[[Image:road runoff2.jpg|thumb|right|200px|The road runoff system of capturing rainwater was created by a farmerवर्षा जल संरक्षण का सड़क संबंधी मॉडल एक किसान ने बनाया. Photoफोटो: UNDPयूएनडीपी]]
====सुधार====
इस व्यवस्था को अपनाने का एक बड़ा लाभ तो यह होगा कि किसानों को डिजाइन तैयार करने में मदद मिलेगी. सडक़ पर बहते पानी का भंडारण बहुत प्रभावी हो सकता है लेकिन अगर इसे सही तरह से तैयार नहीं किया गया या इसका समुचित प्रबंधन नहीं किया गया तो इसके रखरखाव पर काफी खर्च आ सकता है और यह बड़े पैमाने पर क्षरण की वजह भी बन सकता है. मुस्योका व्यवस्था में सुधार का एक और मशविरा यह है कि उनको अपनी नहरों को अधिक उथला बनाना चाहिए ताकि अधिकाधिक पानी उनके खेतों में फैल सके. बजाय कि गहराई में जाकर नष्ट हो जाने के. शोध की बात करें तो इस व्यवस्था को मान्यता देने की जरूरत है क्योंकि केन्या के सूखे इलाकों में जल संरक्षण अत्यधिक आवश्यक है.
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