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[[Image:road runoff1.jpg|thumb|right|200px|सड़क पर बहते पानी का संरक्षण मृदा संरक्षण में भी मदद करेगा. फोटो: यूएनडीपी]]
नजदीक की किसी '''सड़क पर से बहने वाले पानी का संरक्षण''' करना एक ऐसी तकनीक है जिसकी शुरुआत मविंगी जिले के क्येथानी के मुस्योका मुइंदु ने की थी. वह सन सन् 1993 से लगातार इस प्रणाली को विकसित करने के काम में लगे थे. यह काफी हद तक जमीनी अनुभवोंं और पर्यवेक्षण पर आधारित था. इसके जल और मृदा संरक्षण को '''कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय (मोराड)''' का प्रशिक्षण और मदद भी हासिल थी. उनकी तकनीक का जिक्र मवारासोंबा और मुटुंगा (1995) ने केन्या के एसएएएल (शुष्क और अर्द्ध शुष्क) में किए गए अपने सर्वेक्षण में इस तकनीक के सकारात्मक इस्तेमाल का जिक्र किया था.
डामर रोड से उनके खेत बहुत करीब होने के कारण यह आनेजाने वाले लोगों के लिए बहुत आसानी से सुगम है. करीब 800 गांववासी नजांबाा नगू गए और उन्होंने खुले दिल से सभी लोगों का स्वागत किया. उनके लिए अपनी पर्यटक पुस्तिका खोल दी.
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