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This technology is categorized under WOCAT (World Overview of Conservation Approaches and Technologies) as a combined structural / vegetative measure. [[Bunds]]
इस तकनीक को डब्ल्यूओसीएटी (वर्ल्ड ओवरव्यू ऑफ कंजरवेशन अप्रोच्स ऐंड टेकनॉलॉजीज) के तहत एक संयुक्त ढह्वांचागत ढाँचागत पौधरोपण उपाय ([वाटर पोर्टल/ वर्षाजल संचयन/ भूजल पुनर्भरण/ पुस्ता या खेत-बन्धी]) के रूप में सूचीबद्ध किया गया. गठ्ठों और नहरों को बारहमासी घास से स्थिर किया जाता है. इसका प्राथमिक उद्देश्य मिट्टी में नमी पैदा करना है ताकि बढिय़ा पैदावार हो. इसका प्रभाव जल संरक्षण से पैदा होता है. मृदा संरक्षण की बदौलत जमीन का क्षरण रुकता है.
तारकोल की सडक़ पर बहते पानी को करीब 300 मीटर लंबी नहर के जरिए लाया गया जो एक पड़ोसी के खेत से कट कर आती है. इसके अलावा भी कुछ पूरक नहर बनाई गईं जो पहाड़ी से बहते पानी को एकत्रित करतीं. अनुमानित भंडारण क्षेत्र करीब 10 हेक्टेयर है। इससे करीब 5 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है. प्रमुख नहर पानी को शुरुआती फान्या चिनि (एक ऐसी नहर जो धरती के सहारे ढलान से बहती है) ढांचे की मदद से निकालती है. जब पानी नहर के आखिरी सिरे पर पहुंचती है तब उसे ऐसे ही एक अन्य ढांचे में मिला दिया जाता है जो पानी को एकदम दूसरी दिशा मेंं ले जाता है. दूसरे शब्द मेंं कहें तो पानी जिगजैग शैली में बहता है. कुछ खास स्थानों पर किसान ने पानी को नियंत्रित करने के लिए गेट लगाया है. इनकी मदद से पानी की दिशा तय की जाती है.
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