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पत्थर और लकड़ी की चिप्पियों के जरिए जल रिसाव
{{Language-box|english_link= Water Portal / Rainwater Harvesting / Groundwater recharge / Infiltration wells | french_link= Coming soon | spanish_link= Coming soon | hindi_link= वाटर पोर्टल/ वर्षाजल संचयन/ भूजल पुनर्भरण/ रिसन-इन्फिल्ट्रेशन कुंए | malayalam_link= Coming soon | tamil_link= Coming soon | korean_link= Coming soon | chinese_link=渗井 | indonesian_link= Coming soon | japanese_link= Coming soon }}
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[[Image:InfiltrationWell.JPG|thumb|right|200px|मैडागास्कर में रिसाव वाला कुंआ, एरिक फयूस्टर, बुशप्रूफ.]]
'''डब्ल्यूएएसएच-वाश सिस्टम का लचीलापन बढ़ाने के लिए''': भूजल बांध के निर्माण के जरिए मात्रा में इजाफा किया जाना चाहिए. कुंओं को गहरा बनाएं और पाइप भी गहरे धंसाएं. जल स्तर के हिसाब से समय-समय पर कुंओं का पानी निकालना. कुंए के बाद वाले आधे हिस्से का निर्माण सूखे मौसम में करें. नदी तल के वे हिस्से जो साल के एक हिस्से में सूखे रहते हैं और पानी एक खास हिस्से में एकत्रित रहता है. वहां रिसाव वाले कांक्रीट का इस्तेमाल करके पानी का बहाव बढ़ाया जाता है. इसके अलावा जल स्रोत में इस्पात की पाइपों के जरिए भी पानी पहुंचाया जा सकता है. इसे नदी के उस हिस्से में होना चाहिए जहां रिसाव न हो. पाइप इस तरह लगाया जाना चाहिए ताकि पानी का बहाव तेज रह सके जबकि गंदगी का जमाव न्यूनतम हो.
सूखे के प्रबंधन पर अधिक जानकारी: [[Resilient WASH systems in drought-prone areas | सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लचीला वॉश सिस्टम का प्रयोग]].
===विनिर्माण, परिचालन और रखरखाव===
====पत्थर और लकड़ी की चिप्पियों के जरिए जल रिसाव====
[[Image:WoodChipInfiltrationWell.jpg|thumb|right|200px|पत्थर और लकड़ी के फट्टों से बने रिसन-इन्फिल्ट्रेशन कुंए- मिट्टी उलटी नहीं गई है. और तरीकों के लिए देखें [[https://www.agrireseau.net/references/6/Fiches_MAPAQ-AAC_Erosion/PuitsdInfiltration_EN_web.pdf Infiltration wells Factsheet]].]] 
कुंए में जल रिसाव तय करने के लिए चुनी गई जगह पर करीब एक से डेढ़ मीटर व्यास वाला और तकरीबन एक मीटर गहरा गड्ढा खोदा जाना चाहिए. अगर कुंए का निर्माण बलुआ अथवा बालू मिश्रित जमीन में पत्थर से किया गया है तो खोदे गए गड्ढे को जियोटेक्सटाइल झिल्ली से ढका जा सकता है. यह झिल्ली पत्थर का जमाव रोकती है और यह चिपकाने वाले टेप की मदद से यह उस जगह पर चिपकी होती है जहां नाली इसे समकोण पर काटती है. कुंए का काम पूरा हो जाने के बाद अगर मिट्टी को ऊपर लाना होता है तो इस झिल्ली को मिट्टी की सतह से करीब 30 सेंटीमीटर नीचे काटा जाता है. यदि ऐसा नहीं किया गया तो झिल्ली मिट्टी की सतह के ऊपर तक आ सकती है. यह बात ध्यान देने वाली है कि लकड़ी की चिप्पी वाले कुंओं में ऐसी झिल्ली का प्रयोग नहीं किया जाता है.
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